इजरायली सेना ने गाजा हमले का विरोध करने वाले सैनिकों पर बड़ा फैसला लिया है. इजरायल की सेना ने कहा है कि वे उन वायु सैनिकों (एयरफोर्स रिजर्व) को सेवा से बाहर कर देगी, जिन्होंने गाजा पर हमले का विरोध किया है. दरअसल कई सैनिकों ने एक खुले पत्र पर साइन किए थे, जिसमें कहा गया था कि सरकार यह युद्ध राजनीतिक फायदे के लिए लड़ रही है, बंधकों की रिहाई के लिए नहीं. इस पत्र में यह भी मांग की गई थी कि अगर ज़रूरत पड़े तो युद्ध रोककर भी बंधकों को वापस लाया जाए.
अब इस मामले पर इजराइली सेना की प्रतिक्रिया सामने आई है. उनका कहना है कि यह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. इजरायली सेना के एक अधिकारी ने कहा कि सेना के अंदर इस तरह का विरोध स्वीकार्य नहीं है. यह समय एकजुट होने का है, न कि सवाल उठाने का. इससे सैनिकों का मनोबल गिरता है. सेना ने साफ कहा कि ऐसे किसी भी आरक्षित सैनिक को अब सेवा में नहीं रखा जाएगा, जिसने इस पत्र पर साइन किया हो. हालांकि सेना ने यह नहीं बताया कि कितने सैनिकों को हटाया जाएगा, लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, लगभग 1000 एयरफोर्स रिजर्व सैनिकों और रिटायर्ड जवानों ने इस पत्र पर साइन किए थे.
यह पत्र ऐसे समय पर लिखा गया है जब इजरायल ने गाजा पर फिर से हमले तेज कर दिए हैं. गाजा के दो रास्तों को भी ब्लॉक कर दिया गया है, जिससे मदद नहीं पहुंच पा रही. इजरायल का मानना है कि इससे हमास दबाव में आएगा और बंधकों की रिहाई के लिए समझौता करेगा. सेना के भीतर से विरोध की आवाज ने इजरायल की सरकार की चिंता बढ़ा दी है. इससे यह संदेश गया है कि खुद सेना के भीतर एकता की कमी है.
प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की सरकार पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. सेना के मुताबिक, हमास के पास अब भी 59 बंधक हैं, जिनमें से करीब आधे की मौत हो चुकी है. पत्र पर साइन करने वालों ने युद्ध से पूरी तरह हटने की बात नहीं कही, लेकिन इसके तरीकों पर सवाल उठाए. एक पूर्व सैनिक गाय पोरन ने कहा इस तरह युद्ध लड़ना सही नहीं है. इससे बंधकों की जान खतरे में है, सैनिक भी मर रहे हैं, और निर्दोष लोग भी मारे जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि युद्ध का कोई दूसरा विकल्प भी हो सकता है, जिस पर विचार किया जाना चाहिए.