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21 वीं सदी में भी नरकीय जीवन जीने को मजबूर कौंडर के मजरे जानिकपुर और सोरहा

– पेयजल से लेकर सफाई तक, हर सुविधा से वंचित ग्रामीण, जिम्मेदारों की चुप्पी
– जल जीवन मिशन बना मजाक, आठ साल से बंद पड़ी पानी की टंकी

असोथर, फतेहपुर। असोथर विकास खंड के ग्राम पंचायत कौण्डर क्षेत्र के मजरे जानिकपुर और सोरहा की तस्वीर आज भी विकास के दावों को मुंह चिढ़ा रही है। जहां इक्कीसवीं सदी की बात हो रही है, डिजिटल इंडिया और स्मार्ट गांव की योजनाएं कागजों पर तेजी से दौड़ रही हैं, मगर जमीनी हकीकत यह है कि इन दोनों मजरे के ग्रामीण अब भी नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं। गांव की मुख्य मुख्य सड़क विजयीपुर गाजीपुर संपर्क मार्ग से असोथर थरियांव संपर्क मार्ग को जोड़ती है। लेकिन यह मार्ग खुद जलभराव और कीचड़ में डूबा हुआ है। गांव के मुख्य सड़कों से लेकर भीतर की गलियों तक कीचड़, जलभराव और गंदगी ने जीवन को दुश्वार बना दिया है। बारिश होने पर हालात और भी बदतर हो जाते हैं। लोगों को अपने ही घरों से निकलना मुश्किल हो जाता है। बच्चों का स्कूल जाना, बीमारों का अस्पताल पहुंचना, सब कुछ संकट बन चुका है। जिससे आए दिन लोग फिसलकर गिरते हैं और ग्रामीणों में संक्रामक बीमारियों का फैलने खतरा बना रहता है। जानिकपुर और सोरहा दोनों ही मजरे की गलियों में नालियां जाम हैं और गंदगी का अंबार लगा है। नियमित सफाई नहीं होती, जिससे मच्छरों का प्रकोप और संक्रमण की आशंका बनी रहती है। जल जीवन मिशन के तहत गांव में लाखों की लागत से पानी की टंकी तो बना दी गई, मगर आज तक उससे एक बूंद भी पानी की सप्लाई शुरू नहीं हुई। ग्रामीणों ने कई बार पंचायत और विभागीय अधिकारियों से शिकायत की, लेकिन हर बार आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं मिला। कौण्डर गांव के मजरे जानिकपुर (आबादी लगभग 3000) और सोरहा (आबादी लगभग 500) के लोग आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। गांव में आठ वर्ष पूर्व लाखों रुपये की लागत से जलजीवन मिशन के तहत पानी की टंकी तो बना दी गई, मगर आज तक एक बूंद पानी भी ग्रामीणों को नसीब नहीं हुआ। गांव में लगे कई हैंडपंप लंबे समय से खराब पड़े हैं। गोरे लाल चमार के दरवाजे का हैंडपंप पिछले 3 माह से खराब है। रामधनी के दरवाजे वाला 6 माह से बंद पड़ा है। शिवराम का हैंडपंप 7 माह, कल्लू का 4 माह, और अमृतलाल के दरवाजे का हैंडपंप 2 माह से खराब है। इससे ग्रामीणों को दूर-दराज के इलाकों से पानी लाने की मजबूरी बनी हुई है। ग्रामीणों का कहना है कि चुनावों के वक्त नेता वोट मांगने जरूर आते हैं, लेकिन बाद में कोई हाल-चाल तक लेने नहीं आता। सफाई कर्मी महीनों से दिखाई नहीं दिए, और न ही जल निगम के अफसरों ने कभी आकर टंकी चालू कराने की कोशिश की। ग्रामीण जितेंद्र सिंह, राधेश्याम, शिवसिंह, हीरालाल, जगतपाल, रामप्रताप सिंह, होरी लाल, रघुवेंद्र सिंह, गुलाब सिंह, रामसुमेर, नरेंद्र, संतोष, धर्मसिंह, धुन्ना सिंह, ज्ञान सिंह, रामखेलावन सहित कई ग्रामीणों ने बताया कि वर्षों से समस्याएं जस की तस बनी हैं। कई बार शिकायतों के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई।
अधिकारी बोले नहीं था संज्ञान, कराएंगे निराकरण
असोथर विकासखंड अधिकारी राहुल मिश्रा का कहना है कि, “मामला हमारे संज्ञान में नहीं था। अब सचिव को भेजकर प्राथमिकता के आधार पर हैंडपंप मरम्मत, सफाई और जलापूर्ति बहाली की कार्यवाही कराई जाएगी। ग्रामीणों की मांग खराब हैंडपंपों की तत्काल मरम्मत कराई जाए। जलजीवन मिशन की टंकी से पेयजल आपूर्ति शीघ्र शुरू हो। नियमित सफाई व्यवस्था और जल निकासी की उचित व्यवस्था की जाए। अधिकारियों का स्थलीय निरीक्षण हो और जिम्मेदारों पर कार्रवाई की जाए।

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