हरियाणा में महेंद्रगढ़ जिले के नारनौल में रिटायर लेडी प्रोफेसर ने सबसे उम्रदराज महिला स्काई डाइवर बनने का रिकॉर्ड बना दिया है। डॉ. श्रद्धा चौहान नाम की लेडी प्रोफेसर ने 10 हजार फीट की ऊंचाई से क्राफ्ट प्लेन से डाइव लगाई। इस दौरान उनकी डाइविंग की रफ्तार 230 किलोमीटर प्रति घंटे थी। यह डाइव उन्होंने आर्मी से रिटायर्ड ब्रिगेडियर बेटे की मदद से अपने 80वें बर्थडे पर लगाई। डॉ. श्रद्धा मूल रूप से राजस्थान के बहरोड़ जिले की हैं। उनके रिटायर्ड ब्रिगेडियर बेटे ने कहा कि मां ने एक बार खुले आसमान में उड़ने की इच्छा जताई थी। इसलिए उन्होंने नारनौल में बने देश के एकमात्र स्काई डाइविंग स्कूल में लाकर उनका सपना पूरा कराया।
लेडी प्रोफेसर का कैसे पूरा हुआ सपना:
- लेडी प्रोफेसर डॉ. श्रद्धा चौहान राजस्थान के कोटपुतली बहरोड़ जिला के गांव ढाणी दौलत सिंह की की रहने वाली हैं। श्रद्धा चौहान जोधपुर में संस्कृत की प्रोफेसर रह चुकी हैं। उनके बेटे सौरभ सिंह शेखावत आर्मी से ब्रिगेडियर पद से रिटायर हैं। सौरभ वर्तमान में नारनौल स्काई हाई में मेंटर व चीफ इंस्ट्रक्टर हैं। जुलाई महीने में ही उनका जन्मदिन था।
- रिटायर आर्मी ब्रिगेडियर सौरभ सिंह चौहान ने बताया कि उनकी मां 80 साल की होने के बावजूद सभी कार्य आसानी से करती हैं। एक साल पहले 21 अगस्त को जब वे स्काई हाई में चीफ इंस्ट्रक्टर आए तब उनकी मां ने पूछा था कि बेटा आर्मी से रिटायरमेंट लेकर यह क्या कर रहा है। तब उन्होंने अपने माता-पिता को यहां पर लाकर यह सब दिखाया। तब उनके समझ में आया था कि यह एक नई और चैलेंजिंग जॉब है। तभी उन्होंने इच्छा जताई थी कि वह भी बेटे की तरह खुले आसमान में उड़ान भरें।
- सौरभ सिंह शेखावत ने बताया कि मां की इच्छा पूरी करने की उन्होंने ठान ली थी। वह इसके लिए ऐसा दिन चुनना चाहते थे, जो यादगार रहे। इसके लिए उन्हें मां का बर्थडे वाला दिन (1 जुलाई) सबसे बढ़िया ऑप्शन लगा। एक दिन वह राजस्थान जाकर मां को अपने साथ ले लाए और स्काई डाइविंग स्कूल दिखाकर उनकी इच्छा अनुसार आसमान में उड़ने का तोहफा दिया।
- सौरभ ने बताया कि स्काई डाइविंग के सभी जरूरी नियमों का पालन करने के बाद उन्होंने मां को डाइव के लिए खुद तैयार किया। तैयार होते वक्त मां काफी रोमांचित और उत्साहित थीं। जरूरी सेफ्टी उपकरण पहनने के बाद वह मां के साथ प्लेन में सवार हुए और 10 हजार फीट पर पहुंचने के बाद जंप कर दिया। जंप के साथ उनके नीचे आने की रफ्तार 230 किलोमीटर प्रति घंटा थी। ऐसे में मां बिल्कुल नहीं डरीं और आसानी से उन्होंने यह कर दिखाया।
जोधपुर से रिटायर होने के बाद गांव की सरपंच बनी थीं: श्रद्धा चौहान गांव ढाणी दौलत सिंह की सरपंच भी रह चुकी हैं। वह जोधपुर से रिटायर होने के बाद गांव की सरपंच बनी थीं। डॉ. चौहान को सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस और स्पाइनल डिस्क जैसी सेहत समस्याएं थीं। इसके बावजूद श्रद्धा चौहान ने 10 हजार फुट की ऊंचाई से बिना डरे जंप लगा दी।
80 साल की उम्र में मां के स्काई डाइविंग करने पर बेटे सौरभ बेहद खुश: उन्होंने कहा कि हमारे माता-पिता ही हमारे सबकुछ होते हैं। अपनी पूरी जिंदगी माता-पिता अपने बच्चों की ख्वाहिशों को पूरा करने में लगा देते हैं। बच्चों की भी जिम्मेदारी बनती है कि माता-पिता को खुश रखें।