बांदा । वृक्षारोपण पर्यावरण और वायुमंडल को सुरक्षित रखने के लिए अत्यंत आवश्यक है तथा इस दिशा में सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदम काबिले तारीफ हैं किंतु प्रश्नचिंह तब खड़ा होता है जब प्रतिवर्ष करोड़ों कि संख्या में वृक्षारोपण होता है व उसके बाद भी वायुमंडल के लिए अतिआवश्यक वृक्षों की संख्या कमतर है समाजसेवी सुमित शुक्ला ने वृक्षारोपण कार्य में योगदान देने वाले अधिकारी राजनेता व समाजसेवी समूह की जमकर सराहना की तथा सभी से आग्रह किया कि कम से कम एक पौधा लगाकर उसके वृक्ष बनने तक पुत्रवत सेवा कर करें ताकि बाद में वह पितृवत फल स्वच्छ वायु व ईंधन हेतु अपनी लकड़ी देकर आपका कल्याण कर सके इसके साथ ही उनके द्वारा वृक्षारोपण के नाम पर फोटो शूट या कहें दिखावे पर सवाल खड़े किए गए उन्होंने कहा कि वृक्षारोपण कोई किसी पर उपकार नहीं बल्कि हमारे जीवन को सुगम व निरोग बनाने की सामूहिक विधि है जिस पर हम सबको मिलकर इसे सफल बनाने के लिए कार्य करना चाहिए प्रतिवर्ष अंतिम संस्कार के रूप में ईंधन के रूप में विकास के नाम पर व निर्माण कार्य के रूप में बहुतायत में वृक्षों को काटा जा रहा है तथा पौधरोपण के नाम पर फोटो सूट ज्यादा देखने को मिल रहा है जो कि दुखद व निंदनीय है हमारे ऋषि-मुनियों ने वृक्षों में जीवन की संज्ञा दी है अतः छोटे-छोटे पौधों को फोटो सूट के नाम पर बली का बकरा नहीं बनाना चाहिए हमारे द्वारा किया गया वृक्षारोपण अगर जानवरों का भजन बन जाए तो यह कोई पौधरोपण नहीं बल्कि पौध हत्या हैं यदि शासन प्रशासन पर्यावरण के प्रति चिंतित हैं व उनकी इच्छा है कि वृक्षारोपण जमीन पर दिखाई दे तो सबसे पहले अन्ना गौवंश की उचित व्यवस्था कर उनकी निगरानी करने का कार्य करें तत्पश्चात् ग्राम सभा अंतर्गत एक कमेटी गठित कर निशुल्क पौधे ग्रामीण जनों के बीच वितरित करें जिससे किसान व ग्रामीण जन अपनी देख-रेख में पौधों को तैयार कर सकें
