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“मुंबई में मूसलधार का कहर: बादल फटा या बारिश का सैलाब? हर तरफ तबाही, सैलाब में बहे वाहन-पेड़”

मुंबई में हर तरफ पानी ही पानी है. सड़कें जलमग्न हैं. सबवे डूब चुके हैं. रेलवे लाइन पर पानी भरा है. मौसम विभाग ने अलर्ट जारी किया है. मुंबई, ठाणे, पालघर, रायगढ़ और पुणे के घाट क्षेत्रों में भारी बारिश होने की की बात कही गई है. मुंबई के लिए जो अलर्ट जारी किया गया उसमें कहा गया था कि 300 से 350 mm बारिश होने की बात कही गई है. आंकड़ा कितना बड़ा यह इससे समझा जा सकता है कि एक घंटे में 100 mm या उससे अधिक बारिश होने पर बादल फटने जैसी घटनाएं होती हैं. अब सवाल है कि 300 से 350 mm बारिश होने पर क्या हो सकता है? बादल फटने की घटना तब होती है जब एक घंटे में छोटे क्षेत्र में 100 mm या उससे अधिक की बारिश होती है. इसका मतलब है अचानक से तेज बारिश. ज्यादातर यह पहाड़ी इलाकों जैसे उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर या हिमाचल में होती है, क्योंकि यहां पहाड़ बादलों को ऊपर की ओर धकेलते हैं. नतीजा, ये तेजी से ठंडे होते हैं और पानी की बूंदें एक साथ गिरती हैं.ये तेज बारिश के रूप में तबाही लेकर आती है.

उस हिस्से में अचानक से बारिश होने पर पानी तेज रफ्तार से बहता है. रास्ते में आने वाले पेड़-पौधों, पत्थर और मलबे को साथ लेकर रास्ता बनाता हुआ तेजी से आगे बढ़ता है. गति इतनी तेज होती है कि किसी को संभलने का मौका नहीं देता. यहां की बारिश और मुंबई की बारिश में फर्क है. मुंबई में 300 से 350 एमएम अलर्ट का मतलब है कि कुल इतनी बारिश हो सकती है, न कि किसी एक हिस्से में इतनी बारिश. इसलिए यहां बादल फटने की जैसी घटना होने का खतरा नहीं है, लेकिन इतना बड़ा आंकड़ा डराता है. ऐसा इसलिए क्योंकि इतनी बारिश अपने साथ तबाही लेकर आती है. अब तक मुंबई और आसपास के हिस्सों में 100 से 230 एमएम तक बारिश हुई है. इतनी बारिश के बाद दूर-दूर तक सड़कें डूबी नजर आ रही हैं. कई हिस्सों में कमर तक पानी भर गया है. मौसम विभाग का अलर्ट और डराने वाला है, जिसमें 300 से 350 एमएम की बारिश होने की चेतावनी दी गई है. 300 से 350 एमएम बारिश होती है तो इसका असर कई तरह से दिखता है. नदियां-नालें जल्द से जल्द भरने लगते हैं. सड़कें, घर, अंडरपास और मेट्रो स्टेशन के डूबने का खतरा बढ़ता है. पुल और सड़कों के डैमेज होने का रिस्क बढ़ता है. बिजली लाइन ध्वस्त हो सकती है.

विशेषज्ञ कहते हैं, बादल फटने की भविष्यवाणी करना मुश्किल होता है. ऐसा इसलिए क्योंकि यह बहुत छोटे इलाके में फटते हैं और बारिश के रूप में तबाही लाते हैं. लेकिन बड़े इलाके में भारी या हल्की बारिश की भविष्यवाणी की जा सकती है. आंंधी-तूफान का अलर्ट जारी किया जा सकता है. यही वजह है कि बारिश की स्थिति में अलर्ट के आधार पर संभलने का मौका मिलता है, लेकिन बादल फटने की घटना ज्यादा तबाही लेकर आती है. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के आंकड़ों से पता चलता है कि सोमवार और मंगलवार सुबह के बीच पिछले 24 घंटों में, सांताक्रूज़ स्टेशन पर 223 मिमी बारिश दर्ज की गई, जबकि कोलाबा स्टेशन पर 110 मिमी बारिश हुई. हालांकि, BMC के स्वचालित मौसम केंद्रों के रिकॉर्ड से पता चला है कि इस दौरान कई इलाकों में 300 मिमी से ज़्यादा बारिश हुई. पिछले 24 घंटों में, पश्चिमी उपनगरों के चिंचोली में 369 मिमी से ज़्यादा बारिश हुई, इसके बाद कांदिवली में 337 मिमी और डिंडोशी में 305 मिमी बारिश हुई. वहीं, दादर में 300 मिमी बारिश हुई. 300 मिमी के आंकड़े के करीब पहुंचते हुए, चेंबूर में 297 मिमी बारिश हुई, जबकि विक्रोली स्टेशन पर 293 मिमी और पवई में इसी अवधि के दौरान 290 मिमी बारिश दर्ज की गई.रिकार्ड से पता चला कि सबसे अधिक वर्षा पश्चिमी उपनगरों में दर्ज की गई, जहां औसतन 238.19 मिमी बारिश हुई, इसके बाद पूर्वी उपनगरों में 208.78 मिमी तथा द्वीपीय शहर संभाग में 186.43 मिमी वर्षा दर्ज की गई.

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