– आरोपी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सै0 नाजिश रजा ने की पैरवी
– आरोपी के अधिवक्ता सै0 नाजिश रजा।
फतेहपुर। धर्म परिवर्तन के एक मामले में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के विशेष न्यायाधीश डा0 मोहम्मद इलियास ने आरोपी की ओर से दाखिल किए गए जमानत प्रार्थना पत्र की सुनवाई करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सै0 नाजिश रजा के दिए गए तर्कों को आधार मानते हुए आरोपी के जमानत प्रार्थना पत्र को मंजूर कर लिया।
आरोपी सै0 काजिम हसन निवासी कजियाना चौक थाना कोतवाली के अधिवक्ता सै0 नाजिश रजा ने बताया कि बिरमा देवी पत्नी मनोज कुमार मूल निवासी बवरा थाना गाजीपुर वर्तमान पता दक्षिणी गौतमनगर थाना कोतवाली ने कोतवाली में तहरीर देकर आरोप लगाया था कि उसकी पुत्री अन्नपूर्णा सिंह को भगा ले गया है और उसका धर्म परिवर्तन कराना चाह रहा है। इस मामले में पुलिस ने मुकदमा दर्ज करके आरोपी सै0 काजिम हसन को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया। आरोपी के अधिवक्ता सै0 नाजिश रजा ने न्यायालय में जमानत प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करके तर्क दिया कि आरोपी बेगुनाह है और महज अनुचित दबाव बनाने की गरज से मुकदमें में झूठा फंसा दिया गया है। प्रथम सूचना रिपोर्ट सलाह मशविरे के आधार पर लिखाई गई है। सबूत व वाक्यात मनगढ़ंत हैं। अभियुक्त का कोई पूर्व आपराधिक इतिहास भी नहीं है। अधिवक्ता ने बताया कि पीड़िता चौक स्थित सरस्वती शिशु मंदिर में कम्प्यूटर टीचर के पद पर रही है। आरोपी के बच्चे सरस्वती शिशु विद्या मंदिर में पढ़ते हैं। आरोपी धर के बाहर गिफ्ट की छोटी सी दुकान खोले है। पीड़िता ने अपनी प्रोफेशनल कम्प्यूटर कोर्स में एडमीशन लेने के लिए डेढ़ लाख रूपए उधार मांगे थे और एक माह के अंदर वापस करने की बात कही थी। आवश्यकता को देखते हुए कथित पीड़िता को अप्रैल 2025 में डेढ़ लाख रूपए उधार दे दिया था। उधार वापस करने में आनाकानी कर रही थी। बाद में कथित पीड़िता ने आरोपी को ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया। कहा कि और रूपया नहीं दोगे तो फर्जी मुकदमा लगवाकर जेल भिजवा देगी। धीरे-धीरे कथित पीड़िता ने 70-80 हजार रूपए और ले लिए। जब आरोपी ने रूपया वापस करने का दबाव बनाया तो ये फर्जी मुकदमा दर्ज करवा दिया। आरोपी के पिता का इसी साल देहांत हो चुका है और उसके जेल जाने से उसकी बूढ़ी मां का इलाज नहीं हो पा रहा है। बच्चों की पढ़ाई भी बाधित हो रही है। मामले की सुनवाई करते हुए अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के विशेष न्यायाधीश डा0 मोहम्मद इलिास ने आरोपी द्वारा पचास हजार रूपए का व्यक्तिगत बंधपत्र व इसी धनराशि की दो विश्वसनीय प्रतिभू संबंधित न्यायालय की संतुष्टि पर दाखिल करने पर जमानत मंजूर कर ली।
