बिहार में पहले चरण की 121 विधानसभा सीटों पर 6 नवंबर को रिकार्ड 65.08% वोटिंग हुई। न कहीं गोली चली, न बम फूटे। इसका बड़ा श्रेय चुनाव आयोग को सुरक्षा के सख्त इंतजाम के लिए मिला।
बिहार में चुनाव के लिए CAPF की 1650 कंपनियां तैनात हैं। स्ट्रॉन्ग रूम की सुरक्षा CISF के जवान कर रहे हैं। वहीं, बीजेपी शासित गुजरात, उत्तर प्रदेश समेत 14 BJP या NDA शासित राज्यों से 14560 से ज्यादा जवानों को बुलाया गया है।11 नवंबर को दूसरे चरण की 122 सीटों पर मतदान होगा। सभी विधानसभा क्षेत्रों में सुरक्षा के सख्त इंतजाम हैं। मतदान के दिन बूथों पर 3 लेयर वाली सिक्योरिटी होगी। अत्याधुनिक हथियारों से लैस सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्स (CAPF) के जवान मोर्चा संभालेंगे।
बिहार में शांतिपूर्ण तरीके से चुनाव कराने के लिए CAPF की 1650 कंपनियों की तैनाती की गई है। इसमें 1332 कंपनियां CRPF, BSF, CISF, ITBP और SSB की हैं। बाकी की 273 कंपनियां 21 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से आई आर्म्ड पुलिस फोर्स की हैं।
इसमें भाजपा व उसके गठबंधन शासित 14 राज्यों की 208 कंपनियां शामिल हैं। इसमें 14 हजार से अधिक जवान शामिल हैं। CAPF के तहत ये बूथों पर सुरक्षा की कमान संभालेंगे।बूथों के साथ-साथ दूसरे फेज के सभी जिलों में बनाए गए चेक पोस्ट पर भी ये जवान मौजूद हैं और कड़ी चौकसी बरत रहे हैं। इन्हें चेक पोस्ट से गुजरने वाली सभी गाड़ियों की सख्ती से चेकिंग और हर संदिग्ध पर विशेष नजर रखने का आदेश दिया गया है।बिहार पुलिस मुख्यालय के अनुसार बूथों पर सुरक्षा के लिए दो तरह के इंतजाम किए गए हैं। CAPF के जवानों की तैनाती दो तरह के सेक्शन में होगी। बड़े बूथों पर पूरा एक सेक्शन होगा। इसमें 1 अफसर के साथ हथियारों से लैश CAPF के 8 जवान होंगे। छोटे और कम वोटर्स वाले बूथों पर हाफ सेक्शन होगा। इसमें 1 अफसर के साथ 4 जवान होंगे।बूथों पर बिहार होमगार्ड, बिहार पुलिस में ट्रेनिंग ले रहे 19 हजार सिपाही और चौकीदार की भी तैनाती की गई है। बिहार पुलिस मुख्यालय के अनुसार इन्हें उनके अपने विधानसभा क्षेत्र के बूथों पर तैनात नहीं किया गया है। मतदाताओं को लाइन में लगाने और आगे बढ़ाते रहने की जिम्मेदारी इनकी होगी।पहले चरण के मतदान के बाद EVM को जिला मुख्यालयों में बने स्ट्रॉन्ग रूम में रखा गया है। दूसरे फेज के मतदान के बाद भी ऐसा ही होगा। स्ट्रॉन्ग रूम की सुरक्षा के लिए CISF के जवान तैनात हैं। स्ट्रॉन्ग रूम के अंदर की पूरी सुरक्षा इनके हवाले हैं। वोटिंग के बाद स्ट्रॉन्ग रूम में EVM लाने के दौरान सुरक्षा की जिम्मेदारी भी CISF को सौंपी गई है।
चुनाव को लेकर बिहार पुलिस मुख्यालय में DGP का कंट्रोल रूम काम कर रहा है। इसका इस्तेमाल कमांड सेंटर के रूप में हो रहा है। 6 नवंबर को फेज वन के मतदान के दौरान यहां से सभी 121 सीटों पर नजर रखी गई। 11 नवंबर को दूसरे चरण के लिए वोटिंग के दौरान भी ऐसा होगा।
14 नवंबर को वोटों की गिनती के समय भी पुलिस मुख्यालय द्वारा इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस के जरिए कड़ी निगरानी रखी जाएगी। कमांड सेंटर में 1 SP और 3 डीएसपी को निगरानी करने की जिम्मेवारी दी गई है। पहले फेज में जहां चुनाव हुए, वहां के स्ट्रॉन्ग रूम की सुरक्षा में सुरक्षा बलों की 8.2 कंपनियों को लगाया गया है। वहीं, 5 कंपनियों को रिजर्व के रूप में रखा गया है। जरूरत के अनुसार इनकी तैनाती होगी।चुनाव आयोग दूसरे राज्यों से सुरक्षा बलों को बुलाता है भारत के संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत चुनाव आयोग को राज्यों में चुनाव कराने की शक्ति मिली है। इसके लिए आयोग द्वारा राज्य और केंद्र सरकार के संसाधनों का इस्तेमाल किया जाता है। बिहार के उदाहरण से समझें तो यहां CAPF की 1650 कंपनियां बुलाई गईं हैं। चुनाव आयोग के अधिकारी पहले यह आकलन करते हैं कि चुनाव कराने के लिए कितने सुरक्षा कर्मी चाहिए। कितने जवानों को बाहर से बुलाना होगा।राज्य के बाहर से बुलाए जाने वाले जवानों में सबसे अधिक अर्धसैनिक बलों से होते हैं। इसके बाद आर्म्ड पुलिस फोर्स के जवानों को बुलाया जाता है। दूसरे राज्यों से जवान बुलाने में इस बात का ध्यान रखा जाता है कि उस राज्य में कानून-व्यवस्था और सुरक्षा की क्या स्थिति है। जिस राज्य में पहले से सुरक्षा के लिए अधिक जवान चाहिए वहां से चुनाव कराने के लिए ज्यादा जवान नहीं बुलाए जाते।
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