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बायोडीजल की आड़ में चल रहा काला कारोबार, केमिकल से हो रहा खिलवाड़

– फर्जी बायो डीजल पंप पर अवैध ढ़ंग से बिक रहा पेट्रोल भी
– जिला पूर्ति अधिकारी भी सुस्त, मनमानी से सरकार की साख पर धब्बा

फर्रुखाबाद/रोशनाबाद। जिले में सरकार की ऊर्जा नीतियों और कर नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए रोशनाबाद स्थित सियाराम फिलिंग स्टेशन पर बायोडीजल के नाम पर खुलेआम केमिकल और थिनर बेचा जा रहा है। इस अवैध कारोबार के पीछे जिले के जिम्मेदार अफसरों की चुप्पी और लापरवाही भी सवालों के घेरे में है। सूत्रों के अनुसार, सियाराम फिलिंग स्टेशन पर B-100 बायोडीजल के नाम पर ऐसे केमिकल बेचे जा रहे हैं जिनकी न तो मैन्युफैक्चरिंग यूनिट का कोई स्पष्ट रिकॉर्ड है और न ही उनकी सप्लाई यूपी नेडा को अप्रूव्ड रिफाइनरी से होती है, जैसा कि सरकार के नियमों में स्पष्ट रूप से अनिवार्य किया गया है।

भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) और पेट्रोलियम मंत्रालय की गाइडलाइन के मुताबिक, केवल उन्हीं पंपों को बायोडीजल बेचने की अनुमति है जो एनओसी प्राप्त यूपी नेडा रजिस्टर्ड रिफाइनरी से सप्लाई लेते हैं। इसके अलावा बायोडीजल की बिक्री केवल बी-100 ग्रेड में अनुमन्य है, जो पर्यावरण के अनुकूल होता है। लेकिन इस पंप पर खुलेआम बायोडीजल की आड़ में पेट्रोल और थिनर की मिलावट करके उसे वाहनों में डाला जा रहा है, जिससे इंजन की कार्यक्षमता प्रभावित हो रही है और किसानों सहित आम जनता को दिनदहाड़े ठगा जा रहा है।

जीएसटी और आयकर की भी चोरी बायोडीजल की बिक्री पर जहां GST का स्पष्ट ढांचा है, वहीं ऐसे थिनर और केमिकल की बिक्री से जीएसटी और आयकर दोनों की बड़े पैमाने पर चोरी की जा रही है। फिलिंग स्टेशन से जुड़े दस्तावेजों की जांच करने पर यह भी संदेह है कि बी-100 के नाम पर जारी किए गए बिल फर्जी हो सकते हैं।

गंगा पार भी सक्रिय है अवैध नेटवर्क

इस अवैध कारोबार का जाल सिर्फ रोशनाबाद तक सीमित नहीं है, बल्कि गंगा पार के ग्रामीण इलाकों में भी अवैध पंपों के जरिए इसी प्रकार केमिकल और थिनर को डीजल-पेट्रोल बताकर बेचा जा रहा है। हैरानी की बात यह है कि जिला पूर्ति कार्यालय और संबंधित विभागों को इन अवैध गतिविधियों की जानकारी होने के बावजूद अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इस सनसनीखेज मामले को लेकर यूपी नेडा के डायरेक्टर अनुपम शुक्ला ने जांच के आदेश जारी करने की बात कही है। वहीं फर्रुखाबाद के जिलाधिकारी आशुतोष कुमार द्विवेदी ने भी मामले की जानकारी की है, लेकिन अब तक ज़मीनी स्तर पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।

सवालों के घेरे में जिला पूर्ति अधिकारी और टैक्स विभाग

अब बड़ा सवाल यह है कि क्या जिला पूर्ति अधिकारी, GST विभाग और आयकर विभाग की मिलीभगत से यह सब हो रहा है? आखिर क्यों इन खुलेआम नियम उल्लंघनों पर कार्रवाई नहीं हो रही?

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