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चरक केवल वैद्य नहीं, जीवन-दर्शन के ऋषि थे: डा. विकास

– हर विद्यार्थी के भीतर एक चरक संभव
फतेहपुर। चरक जयंती पर मानसिक रोगों में एमडी कर रहे डॉ. विकास चैरसिया ने एक अत्यंत प्रेरक व वैचारिक श्रद्धांजलि प्रस्तुत करते हुए कहा कि आचार्य चरक कोई अवतार नहीं, बल्कि उस साधना, तप और ज्ञान के उदाहरण हैं, जो प्रत्येक चिकित्सक के भीतर सुप्त अवस्था में विद्यमान है।
उन्होंने कहा कि चरक संहिता कोई साधारण ग्रंथ नहीं, बल्कि मानव जीवन की हर परत को स्पर्श करने वाला दार्शनिक आयाम है। जहां सूत्रस्थान से ब्रह्मांड की धड़कन सुनाई देती है, चिकित्सास्थान से रोगों का गहराई से उपचार मिलता है, इन्द्रियस्थान विवेक की मशाल थमाता है और विमानस्थान गुरु-शिष्य परंपरा की दिव्यता को साक्षात रूप देता है। डॉ. चैरसिया ने ये भी बताया कि आज जब पश्चिमी चिकित्सा जगत भी चरक क्लब जैसी संस्थाओं के माध्यम से आचार्य चरक के ज्ञान से मार्गदर्शन ले रहा है, तब हमें अपने आयुर्वेद गौरव को पुनः समझने और अपनाने की आवश्यकता है। उन्होंने युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि चरक एक नाम नहीं, एक संभावना है। वह हर उस विद्यार्थी के भीतर हैं, जो तपस्वी है, जिज्ञासु है और समर्पित है। अंत में उन्होंने अपने श्रद्धा-सिक्त शब्दों से संदेश दिया जिस दिन हम चरक को अवतार मानना बंद कर देंगे, उसी दिन उनके बताए मार्ग पर चलने का साहस भी जन्म लेगा। चरक जयंती पर यह विचार आयुर्वेद को केवल उपचार नहीं, बल्कि जीवन का विज्ञान मानने वाले विद्यार्थियों और चिकित्सकों के लिए एक नई दृष्टि का संचार करते हैं। यह कार्यक्रम महात्मा गांधी आयुर्वेद महाविद्यालय वर्धा में संपन्न हुआ जिसकी अध्यक्षता विद्यालय के डीन डॉ. भरत राठी ने किया।

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