फतेहपुर। नगर स्थित महर्षि विद्या मन्दिर में चल रहे नव दिवसीय शिक्षक प्रशिक्षण कार्यशाला के चतुर्थ दिवस की शुरुआत वैदिक गुरु परम्परा पूजन एवं भावातीत ध्यान कार्यक्रम से हुयी। प्रातः कालीन सत्र में चेतना विज्ञान के सोलह सिद्धान्तों पर सन्दर्भ व्यक्ति राजेश कुमार मिश्र द्वारा विस्तार से प्रकाश डाला गया। प्रतिभागियों ने चेतना विज्ञान के सिद्धांतों को अपने पाठ्यक्रम के आलोक में सम्मिलित करते हुए अपने विषय वस्तु की प्रस्तुति दी। यूनिफाइड फील्ड चार्ट का अभ्यास अपने विषय से जोड़कर प्रस्तुत किये। यह सत्र शिक्षण अधिगम प्रणाली को रुचिकर बनाने के साथ साथ जीवन उपयोगी भी रहा। इससे विद्यार्थियों में अनुशासन, पाठ्य कन का समग्र अध्ययन उनमें नैतिक, सांस्कृतिक और अध्यात्मिक भाव विकसित करने में भी बल मिलेगा। महर्षि विद्या मन्दिर विद्यालय समूह के अध्यक्ष वेद विद्या मार्तण्ड ब्रम्हचारी डॉ० गिरीश ने अपने सम्बोधन में कहा कि महर्षि जी की दैवीय कृपा और आर्शीवाद से शाश्वत सनातन वैदिक ज्ञान विज्ञान के जीवनपरक सिद्धांतों और प्रयोगों की हमें उपहार स्वरूप प्राप्ति हुयी है। इस तकनीक को विकसित कर उन्होंनें हम सभी के लिए जीवन की पूर्णता का मार्ग प्रशस्त किया है। नियमित रूप से हम प्रातः और सायं भावातीत ध्यान और सिद्धी कार्यक्रम का अभ्यास कर व्यक्तिगत और राष्ट्रीय जीवन में सुख शांति और आनन्द प्राप्त कर सकते है। उन्होंने महर्षि जी के कथन जीवन आनन्द है को दोहराया। शिक्षकों एवं प्रधानाचार्यों से चेतना पर आधारित शिक्षण पद्धति को अपनाकर पूर्ण ज्ञान प्राप्त कर शिक्षा के समग्र विकास का संवाहक बनने का आह्वान किया। शिक्षकों को इस प्रशिक्षण में तन्मयता पूर्वक प्रतिभाग कर इस अनूठे ज्ञान से स्वयं और अपने विद्यार्थियों को प्रबुद्ध बनाना चाहिए। केवल अपने विद्यालयों में ही नही जनपद के अन्य विद्यालयों में भी इस शिक्षा के लाभ से अवगत कराना चाहिए। महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर भुवनेश शर्मा जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए महर्षि जी द्वारा प्रदत्त भावातीत ध्यान एवं सिद्धि कार्यक्रम चेतना की एक तकनीक है इसे अपनी चेतना में स्वयं जागृत कर औरों को भी जागृत करने की आवश्यकता है। विद्यालय के प्रधानाचार्य प्रमोद कुमार त्रिपाठी ने महर्षि विद्या मन्दिर विद्यालय समूह के अध्यक्ष को इस नौ दिवसीय शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लेने वाले 5 जिलों के शिक्षकों एवं विषयों की रूपरेखा से अवगत कराया और उनके द्वारा दिये गये निर्देशों का अनुसरण करने का संकल्प किया।