Breaking News

यूपी सरकार ने नहीं सुनी तो महिलाओ ने बनाया खुद पुल, प्रशासन ने कहा अगले साल पुल बनवा देंगे

यूपी के फतेहपुर जिले का कृपालपुर गांव। आबादी करीब 6 हजार। यहां पहुंचने के लिए रिंद नदी पार करनी होती है। इस नदी पर आज तक पुल नहीं बन सका। करीब 200 स्कूली बच्चे रोज सुबह नाव से इसे पार करते हैं। कोई बीमार हुआ तो भी उसे नाव से दूसरी तरफ लाना होता है। दूसरा रास्ता ऐसा है कि 15 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है। यहां के लोग कई दशक से विधायक-सांसद और अधिकारी से पुल की डिमांड कर चुके हैं, लेकिन हुआ कुछ नहीं। कई तो कहते हैं- हमें किसी और योजना का फायदा मत दीजिए, लेकिन पुल बनवा दीजिए। जब किसी ने नहीं सुना, तो गांव की महिला कलावती ने बाकी महिलाओं को एकजुट किया। तय हुआ कि हम नदी पर बांस का पुल बनाएंगे। अपनी तरफ से करीब एक लाख रुपए लगा दिए। पुल आधा बनकर तैयार हो गया। तभी पुल की तस्वीर प्रशासन तक पहुंची, अफसर हैरान हो गए। तत्काल मौके पर पहुंचे और काम रुकवा दिया। वादा किया कि अगले सत्र में यहां पुल बनवा देंगे, अभी जो बनाया है उसे गिरा दीजिए।

दो महिलाओं ने 1 लाख रुपए लगाए हम नाव से होते हुए गांव के अंदर पहुंचे। कई लोग बैठे मिले। हमारी मुलाकात कलावती निषाद से हुई। उनके बच्चे नदी के दूसरी तरफ स्कूल जाते हैं। वह कहती हैं- हमारे बच्चे और गांव के अन्य बच्चे छोटे-छोटे हैं। स्कूल जाने का कोई साधन नहीं। नाव से ही जाते हैं, कई बार ऐसा हुआ कि वह नाव से नदी में गिर पड़े। स्कूल नहीं जा पाए। अब अगर पढ़ाई नहीं करेंगे, तो उनका भविष्य खराब होगा। गांव में कोई बीमार पड़ जाए, तो उसके लिए दिक्कत है।कलावती कहती हैं- नेता लोग चुनाव के दौरान आते हैं तो ऐसा बोलते हैं, जैसे पुल लेकर चल रहे। लेकिन, चुनाव के बाद भूल जाते थे। सरकार और प्रशासन ने नहीं सुना तो हमने तय किया कि पुल बनाया जाए। गांव के लोगों के साथ बैठकर चर्चा की। फिर काम शुरू कर दिया।कलावती कहती हैं- गांव के लोगों ने नदी के बीचोंबीच बिजली के सीमेंट वाले दो पोल लगाए। सफेदा की लकड़ी इस्तेमाल की। ऊपर लोहे का सरिया लगाया, उसके ऊपर बांस की फट्टियां लगाई जा रही थीं। ये सब जब हो रहा था, तभी इसकी सूचना प्रशासन तक पहुंच गई। मौके पर ही एसडीएम दुर्गेश सिंह यादव पहुंच गए। पुल की स्थिति देखी तो कहा कि यह ठीक नहीं है। इससे खतरा हो सकता है, इसके बाद उन्होंने इसे रुकवा दिया। कहा कि अगले साल यहां स्थायी पुल बनेगा।

बच्चे पढ़ नहीं पाएंगे, तो क्या कर पाएंगे:  हमारी मुलाकात गांव की ही राधा देवी से हुई। वह कहती हैं- गांव की गर्भवती महिलाओं को बहुत खराब स्थिति से जूझना पड़ता है। उनके ऊपर क्या बीतती है, यह कोई नहीं जानता। हमारी समस्याओं को कोई नहीं सुनता। सरकार के लोग कह जाते हैं कि पुल बना देंगे, लेकिन जीतने के बाद कोई नजर नहीं आता। कई बार नाव में इतनी भीड़ हो जाती है कि बच्चा बैठ ही नहीं पाता, उसका पेपर छूट जाता है। बच्चे पढ़ नहीं पाएंगे, तो क्या कर पाएंगे?

 रामगोपाल भी विधायक सांसद से मिलते रहे: और 60 साल के रामगोपाल निषाद राजनीति में सक्रिय रहते हैं। गांव में नेता-अधिकारी आते हैं, तो उनसे जरूर मिलते हैं। रामगोपाल भी विधायक और सांसद से मिलते रहे हैं। वह कहते हैं- जब यहां साध्वी निरंजन ज्योति सांसद थीं, तो हम उनके पास गए थे। वह हमें एक हैंडपंप दे रही थीं, हमने कहा कि इसकी हमें कोई जरूरत नहीं। मेरे बच्चे गुजरात में मेहनत करके पैसा भेज रहे हैं, हम घर में सबमर्सिबल लगवा लेंगे। हमें बस हमारे गांव के लिए पुल चाहिए।

हमें बाकी सरकारी योजनाओं का फायदा मत दीजिए: हम इस गांव में करीब 5 घंटे रहे। 20 से ज्यादा लोगों से बात की। हर व्यक्ति यही कहता है कि इस गांव में पुल हो जाए तो आधी समस्या खत्म हो जाए। कई तो यह भी कहते हैं कि हमें बाकी सरकारी योजनाओं का फायदा मत दीजिए, लेकिन पुल तो दे दीजिए। क्योंकि इस पुल से ही उनके बच्चों का भविष्य है। पुल न होने की वजह से गांव में लोग शादियां तक करने में कतराते हैं। यहां पर लोगों से बातचीत के बाद हम नदी को नाव से पार करके लौटे। गोपालपुर के उस स्कूल में पहुंचे, जहां कृपालपुर के बच्चे आते हैं। यह स्कूल कृपालपुर से करीब 2 किलोमीटर की दूरी पर है।

About NW-Editor

Check Also

UP में ‘ऑपरेशन लंगड़ा’ का एक्शन: दो मुठभेड़ों में वांछित शातिर बदमाश दबोचे

  उत्तर प्रदेश: प्रदेश पुलिस का बदमाशों के खिलाफ चलाया जा रहा ‘ऑपरेशन लंगड़ा’ एक बार …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *