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दिनदहाड़े हत्या, 34 दिन बाद टूटी खामोशी: पत्रकार राघवेंद्र की हत्या के पांच साजिशकर्ता बेनकाब

 

उत्तर प्रदेश के महोली में पत्रकार राघवेंद्र बाजपेयी की हत्या का खुलासा पुलिस ने 34 दिनों के बाद कर दिया है। पुलिस ने इस हत्याकांड में शामिल पांच लोगों को गिरफ्तार किया है, जबकि दो शूटरों की तलाश जारी है। हत्याकांड में कारेदेव बाबा मंदिर के पुजारी और उनके दो करीबी लोग शामिल थे, जिन्हें गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने शूटरों पर ईनाम भी घोषित किया है और उनकी गिरफ्तारी के लिए कई टीमें काम कर रही हैं। 8 मार्च को महोली के पत्रकार राघवेंद्र बाजपेयी की हत्या कर दी गई थी। दोपहर करीब 3:30 बजे हेमपुर ओवरब्रिज पर चार गोलियां मारी गई थीं।

इस घटना के बाद पुलिस ने जांच शुरू की और एक हजार से अधिक नंबरों और सवा सौ संदिग्धों से पूछताछ की। पुलिस ने 250 से ज्यादा सीसीटीवी कैमरे भी खंगाले। पुलिस ने मामले की गहनता से जांच की और पाया कि कारेदेव बाबा मंदिर के पुजारी शिवानंद बाबा उर्फ विकास राठौर और उनके करीबी निर्मल सिंह और असलम गाजी का इसमें हाथ था। पूछताछ में पता चला कि राघवेंद्र के हाथ शिवानंद बाबा के कुछ ऐसे राज लग गए थे, जो उसकी बदनामी का कारण बन सकते थे।

इस कारण शिवानंद ने निर्मल सिंह से मदद ली और असलम गाजी के माध्यम से दो शूटरों को राघवेंद्र की हत्या करने की सुपारी दी। इसके बाद शूटर राजू तिवारी और संजय तिवारी ने मिलकर राघवेंद्र को गोली मार दी। पुलिस ने दोनों शूटरों के सिर पर 25-25 हजार रुपये का ईनाम घोषित किया है। इन शूटरों की तलाश में पुलिस की टीमें जुटी हुई हैं। इस हत्याकांड में एक सफेदपोश का भी हाथ होने की चर्चा है, जिसके बारे में पुलिस जानकारी जुटा रही है। जल्द ही उसकी पहचान हो सकती है और पुलिस उस पर कार्रवाई कर सकती है।

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