मेरठ: मेरठ के मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इलाज के अभाव में एक घायल युवक की दर्दनाक मौत हो गई. यह मामला रविवार रात का है, जब हादसे में घायल 30 साल के सुनील कुमार को परिजन मेडिकल अस्पताल लेकर पहुंचे, लेकिन वहां डॉक्टर और स्टाफ गहरी नींद में सोते रहे. परिजनों ने कई बार जगाने की कोशिश की, लेकिन डॉक्टर बहस करने लगे. इलाज में हुई घोर लापरवाही के चलते युवक ने सुबह अस्पताल के बेड पर ही दम तोड़ दिया. हसनपुर कला गांव के रहने वाले सुनील कुमार रविवार रात पैदल चलकर होटल की ओर जा रहे थे. करीब 12 बजे सिसौली गांव के पास किसी अज्ञात वाहन ने उन्हें पीछे से टक्कर मार दी.
इससे वह गंभीर रूप से घायल हो गए. साढ़े 12 बजे उन्हें मेरठ मेडिकल कॉलेज के इमरजेंसी में भर्ती कराया गया. मगर, यहां डॉक्टर और स्टाफ गहरी नींद में सो रहा था. परिवारवालों का आरोप है कि इमरजेंसी वार्ड में मौजूद डॉक्टर और स्टाफ को बार-बार जगाया गया. मगर, उन्होंने ठीक से सुनील को देखा तक नहीं. एक पैर की पट्टी तो की गई, लेकिन दूसरे पैर का कोई इलाज नहीं किया गया. उसके पैर से लगातार खून बहता रहा. सुबह तक हालत बिगड़ गई और सुनील ने दम तोड़ दिया.
सुनील की मौत के बाद परिजनों ने अस्पताल में जमकर हंगामा किया. उनका आरोप है कि डॉक्टरों की लापरवाही और संवेदनहीनता के कारण उनकी आंखों के सामने उनका बेटा तड़पकर मर गया. हसनपुर कला गांव के प्रधान जग्गी ने बताया कि वे रात 3 बजे अस्पताल पहुंचे थे, उस समय भी स्टाफ गहरी नींद में था. मरीज की हालत बेहद नाजुक थी, लेकिन किसी ने उसकी सुध नहीं ली. उन्होंने दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की.
माछरा गांव के प्रधान यतेंद्र शर्मा ने बताया कि उन्होंने खुद सीएमओ से फोन पर संपर्क किया, लेकिन उन्हें यह कहकर टाल दिया गया कि यह मामला उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं है इस लिए कोई कार्रवाई नहीं कर सकते. हालांकि, इस पूरी घटना का सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो गया. इससे विभाग में अफरा-तफरी मच गई. तुरंत 2 डॉक्टरों को सस्पेंड कर दिया गया. मेरठ मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. एससी गुप्ता ने बताया कि रात में इमरजेंसी में ऑर्थोपेडिक्स विभाग के डॉ. अनिकेत और डॉ. भूपेश राय ड्यूटी पर थे.
सुनील के पिता अशोक कुमार का कहना है कि उनका बेटा पूरी तरह जख्मी था, लेकिन डॉक्टरों ने न तो उसे ठीक से देखा, न पट्टियां बदलीं और न ही खून रोकने की कोई कोशिश की. परिजन और ग्रामीण सरकार और प्रशासन से पीड़ित परिवार को न्याय और आर्थिक मदद की मांग कर रहे हैं. यह मामला सिर्फ एक मरीज की मौत का नहीं, बल्कि सरकारी अस्पतालों की बदहाल व्यवस्थाओं का आईना है.