– शैलेन्द्र साहित्य सरोवर की 399 वीं साप्ताहिक रविवासरीय काव्य गोष्ठी संपन्न
– काव्य गोष्ठी में भाग लेते कवि एवं साहित्यकार।
फतेहपुर। शहर के मुराइन टोला स्थित हनुमान मंदिर में शैलेन्द्र साहित्य सरोवर के बैनर तले 399 वीं साप्ताहिक रविवासरीय सरस काव्य गोष्ठी का आयोजन केपी सिंह कछवाह की अध्यक्षता एवं शैलेन्द्र कुमार द्विवेदी के संचालन में हुआ। मुख्य अतिथि के रूप में मंदिर के पुजारी भार्गव महाराज उपस्थित रहे।
काव्य गोष्ठी का शुभारंभ करते हुए केपी सिंह कछवाह ने वाणी वंदना में अपने भाव प्रसून प्रस्तुत करते हुए कहा ज्ञान दायिनी सरस्वती मां, मंच विराजो आज। कविता का श्रृंगार कर, करो सुसज्जित साज।। पुनः कार्यक्रम को गति देते हुए काव्य पाठ में कुछ इस प्रकार से अपने अंतर्भावों को प्रस्तुत किया राष्ट्र विरोधी ताकतें, एक हो रहीं आज। ख़तरे में है देश में, संविधान की लाज।। डा. सत्य नारायण मिश्र ने अपने भावों को एक छंद के माध्यम से कुछ इस प्रकार व्यक्त किया धन, वैभव औ देह पर, क्या करना अभिमान। जाने कब जाना पड़े, तज कर सकल जहान।। उमाकांत मिश्र ने अपने भावों को मुक्तक में कुछ इस प्रकार पिरोया ज़माना छोड़ दे चाहे, भले ही तंज़ कसने से। मिला मौका तो छोड़ेगा नहीं इंसान डसने से।। प्रदीप कुमार गौड़ ने अपने क्रम में काव्य पाठ में कुछ इस प्रकार भाव प्रस्तुत किये भोजन ताजा, शुद्ध पेयजल, घर अंदर-बाहर हो साफ़। समझो अपनी जिम्मेदारी, रोगों की गिनती हो हाफ।। डॉ शिवसागर साहू ने काव्य पाठ में अपने भावों को कुछ इस प्रकार शब्द दिए सत्य, अहिंसा, प्रेम की, जहं नित वर्षा होय।
सुखी रहें तहं जीव सब, दुख काहुहि ना होय।। काव्य गोष्ठी के आयोजक एवं संचालक शैलेन्द्र कुमार द्विवेदी ने अपने भाव एक गीत के माध्यम से कुछ यों व्यक्त किये प्यार तो प्यार है, इक रोज़ रुलाता ही है। जो भी आता है, कभी दूर तो जाता ही है।। सबको मालूम है, दुनिया की क्या फितरत साहब, फिर भी दिल दिल है, किसी पर तो ये आता ही है।। कार्यक्रम के अंत में पुजारी ने सभी को आशीर्वाद प्रदान किया। आयोजक ने आभार व्यक्त किया।
