मिर्जापुर: कुदरत के खेल निराले होते हैं। कोई नहीं जानता उसके मन में क्या चल रहा है। वो दिखाता कुछ है पर करता कुछ और ही है। मिर्जापुर का एक परिवार आजकल इन्हीं ख्यालों में गुम है। दरअसल परिवार की 17 साल की एक बेटी को कभी पीरियड ही नहीं आए। आमतौर पर 13 से 14 साल की उम्र में यह शुरू हो जाता है। घरवाले बिटिया को प्रयागराज के एसआरएस अस्पताल में ले गए। जांच के दौरान पता चला कि वह शारीरिक रूप से लड़की होते हुए भी अंदर से लड़का है। उसमें पुरुषों के अंडकोष पाए गए। बच्चेदानी भी नहीं थी। यह जानकर परिजनों के साथ डॉक्टर भी हतप्रभ रह गए।इसके बाद लड़की का जेनेटिक टेस्ट हुआ। इसमें 46 एक्स वाई क्रोमोसोम पाए गए, जो पुरुषों में होते हैं। डॉक्टरों ने इसे एंड्रोजन असंवेदनशीलता सिंड्रोम नामक दुर्लभ बीमारी बताया। लड़की की काउंसलिंग की गई। परिजनों की सहमति से उसके शरीर से अविकसित अंडकोष को ऑपरेशन से बाहर निकाल दिया गया और हार्मोनल थेरेपी शुरू की गई।
अविकसित अंडकोष डॉक्टरों ने बाहर निकाल दिया
काउंसलिंग के दौरान लड़की ने बताया कि उसका लालन-पोषण लड़की की तरह से हुआ है और वह मानसिक तौर पर लड़की ही है। आगे भी वह लड़की ही बनकर रहना चाहती है। परिजनों ने भी इस पर सहमति जताई। ऐसे में डॉक्टरों ने दूरबीन विधि से किशोरी के शरीर से दोनों अविकसित अंडकोष को ऑपरेशन कर बाहर निकाल दिया ताकि आगे चलकर कैंसर का खतरा न पनपने पाए।
बच्चेदानी ना होने से कभी गर्भवती नहीं हो सकेगी लड़की
अब किशोरी को वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. अनुभा श्रीवास्तव की तरफ से हार्मोनल थेरेपी दी जा रही है। यह थेरेपी आजीवन चलती रहेगी। वहीं किशोरी को बता दिया गया है कि बच्चेदानी न होने की वजह से वह कभी गर्भवती नहीं हो सकेगी।
क्या है एआईएस?
एंड्रोजन असंवेदनशीलता सिंड्रोम (एआईएस) एक आनुवंशिक स्थिति है जिसमें शरीर पुरुष हार्मोन एंड्रोजन के प्रति प्रतिक्रिया नहीं करता है। इससे उन व्यक्तियों का आनुवंशिक रूप से पुरुष (एक्स वाई गुणसूत्र) होने के बावजूद बाहरी शारीरिक लक्षण अक्सर महिलाओं वाले होते हैं। यह काफी दुर्लभ बीमारी होती है। इसमें शरीर लड़की का होता है मगर गुण लड़के के होते हैं।