इटावा (बकेवर): क्षेत्र का एक नामी रेस्टोरेंट इन दिनों लोगों की जुबान पर चर्चा का विषय बना हुआ है, लेकिन इसके पीछे की वजह इसकी लोकप्रियता नहीं, बल्कि वहां परोसे जा रहे खाने की गुणवत्ता है। स्थानीय लोगों और ग्राहकों का आरोप है कि इस रेस्टोरेंट में भोजन की कीमतें तो आसमान छू रही हैं, लेकिन न स्वाद है, न गुणवत्ता — उल्टे गंदे और बार-बार इस्तेमाल किए गए तेल की दुर्गंध भोजन में महसूस की जा रही है।
स्वास्थ्य विभाग और खाद्य सुरक्षा विभाग दोनों की संदिग्ध चुप्पी खुद में सवाल बनी है। स्थानीय जनता का कहना है कि यह रेस्टोरेंट लंबे समय से मानकों की अनदेखी कर रहा है, लेकिन स्वास्थ्य और खाद्य विभाग की ओर से कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गई। इससे साफ संकेत मिलते हैं कि कहीं न कहीं विभागीय मिलीभगत भी इस मामले को दबाने में भूमिका निभा रही है।
लोगों की जान से हो रहा खिलवाड़
खराब और दूषित तेल, खुले मसाले, साफ-सफाई की कमी और कर्मचारियों की लापरवाही — यह सब मिलकर उपभोक्ताओं की सेहत के लिए एक बड़ा खतरा बन रहे हैं। कई ग्राहकों ने पेट दर्द, उल्टी और फूड प्वाइजनिंग जैसी समस्याओं की शिकायत की है।
आखिर क्यों नहीं होती नियमित विभागीय छापेमारी?
सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब शिकायतें मिल रही हैं, तब भी खाद्य विभाग की नियमित छापेमारी क्यों नहीं होती? क्या मानकों की खुलेआम अनदेखी करने वाले इस रेस्टोरेंट को किसी “ऊपर से संरक्षण” प्राप्त है? जनता ने उठाई जांच की मांग स्थानीय समाजसेवियों और जागरूक नागरिकों ने मांग की है कि खाद्य विभाग इस मामले को गंभीरता से लेकर तत्काल छापेमारी करे और मानकों की जांच कर दोषियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करे। साथ ही स्वास्थ्य विभाग की निष्क्रियता की भी उच्च स्तरीय जांच की जानी चाहिए। यह कोई पहली बार नहीं है जब इटावा जिले के क्षेत्र भर में संचालित सैकड़ों होटल रेस्टोरेंट में इस तरह की शिकायतें सामने आई हैं। जरूरत है कि जिम्मेदार विभाग सजग होकर जनहित में उचित कदम उठाएं, ताकि लोगों की जान के साथ किसी प्रकार का खिलवाड़ न हो।