श्रीबूढ़ेनाथ स्वामी मंदिर में कांवड़ियों का सैलाब, जलाभिषेक से शिवलिंग अभिषिक्त

– वृंदावन के कलाकारों ने किया कृष्ण जन्म लीला का अद्भुत मंचन
– 500 वर्ष से अधिक पुराना मंदिर, जहां संतों ने की घोर तपस्या
– चंद्रावली लीला में भक्ति और प्रेम का अनोखा संगम, श्रद्धालु हुए भाव-विभोर

फतेहपुर। देवमई ब्लाक के मुसाफा धाम स्थित स्वंभू शिवलिंग बाबा श्रीबूढ़ेनाथ स्वामी मंदिर में 42वें वर्ष के महाशिवरात्रि महोत्सव का आयोजन पूरे भक्ति भाव और श्रद्धा के साथ संपन्न हो रहा है। यह मंदिर न सिर्फ आस्था का केंद्र है, बल्कि इसे सिद्धपीठ के रूप में भी मान्यता प्राप्त है। यह वही पावन धाम है, जहां प्रसिद्ध संत ब्रह्मलीन विरक्तानंद नंद (श्रीशोभन सरकार ) के नाम से जाना जाता है, और श्री मौनी सरकार ने कठोर तपस्या की थी। इस मंदिर की ऐतिहासिकता लगभग 500 वर्षों से भी अधिक पुरानी मानी जाती है, जिसे संतों की साधना स्थली के रूप में विशेष महत्व प्राप्त है। महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर हजारों श्रद्धालु इस ऐतिहासिक शिवधाम में जुटे। भोर से ही कांवड़िए पवित्र गंगाजल लेकर पहुंचे और बाबा श्रीबूढ़ेनाथ स्वामी का जलाभिषेक किया। ष्बम-बम भोलेष् के गगनभेदी जयकारों से पूरा वातावरण भक्तिमय हो उठा। दिनभर रुद्राभिषेक, हवन और पूजन का आयोजन चलता रहा। आचार्य प्रदीप शास्त्री के नेतृत्व में आचार्यों की टीम ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ धार्मिक अनुष्ठान संपन्न कराए। श्रद्धालुओं ने यज्ञ मंडप की परिक्रमा कर पुण्य लाभ अर्जित किया। रात्रि में वृंदावन से पधारे कलाकारों द्वारा रासलीला का भव्य मंचन किया गया। कृष्ण जन्म लीला के दौरान जैसे ही भगवान कृष्ण प्रकट हुए, श्रद्धालु भाव-विभोर हो गए। बुधवार दिन में चंद्रावली लीला का भी सजीव मंचन हुआ, जिसमें गोपियों की भक्ति और कृष्ण के प्रति उनकी आत्मीयता को बड़ी ही सुंदरता से दर्शाया गया। व्यास भुवनेश पाठक की प्रभावी वाणी ने श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। पूरे आयोजन को भव्य बनाने में समिति के सदस्यों और स्थानीय श्रद्धालुओं का विशेष योगदान रहा। इस शुभ अवसर पर अमित तिवारी, गौरव शुक्ला, सोमनाथ तिवारी, राजकिशोर तिवारी, हर्षित, रवि किशोर तिवारी, दीपक, गोपाल शुक्ला, वीरेंद्र सिंह, संजय तिवारी, प्रतीक तिवारी, आयुष पांडे, अभिषेक तिवारी, राजन सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे। यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि संत परंपरा की महान धरोहर भी समेटे हुए है। यहां घोर तपस्या करने वाले संत ब्रह्मलीन विरक्तानंद नंद जी (श्रीशोभन सरकार) और श्री मौनी सरकार के कारण यह स्थान आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र बना हुआ है। महाशिवरात्रि के इस अवसर पर भक्तों ने बाबा श्रीबूढ़ेनाथ स्वामी के चरणों में शीश नवाकर आशीर्वाद प्राप्त किया और इस पावन धाम की दिव्यता को आत्मसात किया।

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