– अतिथियों ने एएमयू संस्थापक के जीवन पर डाला प्रकाश
– क्विज प्रतियोगिता के विजेताओं को किया पुरस्कृत
– कार्यक्रम को संबोधित करते स्कूल के प्रबंधक दिलशाद अहमद।
फतेहपुर। शहर के शान्तीनगर स्थित एम्बिशन पब्लिक स्कूल में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के संस्थापक सर सैय्यद खान का जन्मदिन धूमधाम से मनाया गया। क्विज़ प्रतियोगिता के विजेता छात्र-छात्राओं को पुरस्कृत किया गया। प्रतियोगिता में प्रथम विजेता नुरैन सिद्दीकी, द्वितीय विजेता मधु द्विवेदी और अलिस्बा सिद्दीकी ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। दूसरी ओर प्रतियोगिता में उपविजेता रहे अज़रा फातमा, दृष्टि सोनाले और अकाशी शिमौरिया को अतिथिगण ने पुरस्कृत किया। प्रबंधक दिलशाद अहमद ने संचालन करते हुए कहा कि सर सैय्यद अहमद सिर्फ एक नाम नहीं बल्कि कभी ख़त्म न होने वाला एक अहद है। मशरिक से निकलने वाला एक सूरज है। जिसने हिंदी अकवाम को जिहालत के तारीके गार से निकालकर इल्म के नूर से मुनव्वर किया। मुख्य अतिथि चौधरी मंज़र यार ने कहा कि सर सैयद ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की शक्ल में जो इल्म का चिराग जलाया था वह क़यामत तक जलता रहेगा और आगे सर सैय्यद अहमद के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनके द्वारा समाज के लिए किये गये अतुलनीय कार्योंँ को भुलाया नहीं जा सकता। अध्यक्षता करते हुए मोहम्मद आसिफ एडवोकेट ने सर सैय्यद के जीवन में आये तमाम संघर्षों का विस्तारपूर्वक चर्चा करते हुए बताया कि सर सैय्यद 1857 की क्रांति की विफलता के बाद महसूस कर लिया था देश को तब तक आज़ाद कराना मुश्किल होगा जब तक हमारे देश के नौजवानों को अंग्रेज़ों वाली शिक्षा नहीं दी जाती। इसी ख्वाब को पूरा करने के लिए ऐसे शिक्षण संस्थान को वजूद में लाने के लिए भरसक प्रयास किया। जिसका जीता जागता उदाहरण अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की शक्ल में हम सबके सामने मौजूद है। कहा कि सर सैय्यद ने आपसी एकता पर ज़ोर दिया। अकसर वह कहते थे कि हिंदुस्तान एक खूबसूरत दुल्हन है और हिन्दू व मुसलमान उस दुल्हन की दो आंखे हैं। धीरज कुमार पूर्व सभासद ने कहा कि हम सबको सर सैय्यद के मिशन को आगे बढ़ाना है। इस मौके पर प्रिंसिपल आरती सोनी, सोहैल अहमद, हेमू, आदिल अहमद, शकील सिद्दीक़ी व स्कूल का समस्त शिक्षिकाएं पूजा सोनी, शगुफ्ता परवीन, अनामिका विश्वकर्मा, सालेया, पूजा गौतम, संध्या कश्यप, समाना ज़हरा, सुबिया शेख, प्रियंका वर्मा, सौम्या रस्तोगी, जैसममीन, आफरीन उपस्थित रहीं।
