चुनाव आयोग की घोषणा के बाद दूसरे चरण के एसआईआर की प्रक्रिया चल रही है. इसमें 9 राज्य और 3 केंद्र शासित प्रदेशों को शामिल किया गया है. इसी एसआईआर की प्रक्रिया के दौरान पश्चिम बंगाल में एक बांग्लादेशी शख्स ने माना है कि उसने इंडियन वोटर ID बनवाने के लिए अपने पिता के नाम की जगह अपनी पत्नी के पिता का नाम इस्तेमाल किया. इससे वोटर रोल के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के बीच चिंता बढ़ गई है.इस शख्स का नाम मोहम्मद खलील मोल्ला है. ये 35 साल पहले भारत आया था. मोहम्मद खलील मोल्ला ने कहा कि मुझे 2023 में अपना वोटर कार्ड मिला. मैं इंडियन नहीं हूं, मैं बांग्लादेश से आया हूं. मैंने कार्ड बनवाने के लिए अपने पिता के नाम वाले सेक्शन में अपने ससुर का नाम इस्तेमाल किया. खलील ने बताया कि शुरू में, वह तोपसिया में रहे, फिर हावड़ा, अमता में और आखिर में उलुबेरिया के श्रीरामपुर में बस गए. इसी तरह एक और मामले में, लोकल लोगों ने आरोप लगाया है कि एक और शख्स ने वोटर आईडी कार्ड बनवाने के लिए अपने पिता के नाम की जगह अपने ससुर के नाम का इस्तेलामल किया. इस शख्स का नाम शेख रेजाउल मंडल है. एसआईआर की प्रक्रिया के दौरान पत्नी के पिता का नाम इकबाल मंडल और शख्स के पिता का नाम इकलास मंडल लिखा हुआ पाया गया. जवाब में, शख्स की पत्नी ने कहा कि हम क्या कर सकते हैं, मुझे नहीं पता कि मेरे पिता और मेरे पति के पिता वोटर कार्ड में एक ही हैं या नहीं. इस मामले के सामने आने के बाद से राजापुर पुलिस स्टेशन के तहत श्रीरामपुर इलाके में काफी मुश्किलें बढ़ गईं. यह SIR को लेकर चिंता के बीच हुआ है क्योंकि कई लोग इस बात को लेकर परेशान हैं कि क्या उनके नाम वोटर रोल में रहेंगे, क्या उनके मौजूदा डॉक्यूमेंट्स वैलिड होंगे और क्या सिटिज़नशिप अमेंडमेंट एक्ट (CAA) के तहत अप्लाई करने से उनके वोटिंग राइट्स सुरक्षित रहेंगे. इलेक्शन कमीशन ऑफ़ इंडिया का स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रोसेस अभी पश्चिम बंगाल में वोटर रोल को रिव्यू करने के लिए चल रहा है. 24 जून को शुरू किया गया स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन, एलिजिबल नागरिकों के नाम वोटर लिस्ट में शामिल करने और जो इनएलिजिबल हैं उनके नाम हटाने को लेकर किया जा रहा है.
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