संवाददाता: सैयद समीर हुसैन
मुंब्रा शील :मुंब्रा में अवैध निर्माण तोड़ने की कार्रवाई को लेकर राजनीति तेज़ हो गई है। एक ओर जहां ठाणे महानगरपालिका की कार्रवाई से हज़ारों परिवारों के सिर पर बेघर होने का खतरा मंडरा रहा है, वहीं दूसरी ओर पत्रकार रफ़ीक़ कामदार और अनवर कच्ची के बीच मतभेद सामने आ रहे हैं। अनवर कच्ची का दावा है कि कार्रवाई रुकवाने के लिए उन्होंने पूरी कोशिश की है। वहीं, रफ़ीक़ कामदार के समर्थन में उतरी भारी भीड़ इस ओर इशारा करती है कि कार्रवाई को रोकने और अधिकारियों को वापस भेजने में कामदार सफल रहे हैं। लेकिन दोनों नेताओं के बीच तनाव अभी भी जारी है। अब सवाल यह उठ रहा है कि इस खींचतान में बेघर कौन हो रहा है गरीब जनता या फिर कामदार और कच्ची? रफ़ीक़ कामदार का स्पष्ट कहना है कि हमें हाईकोर्ट के आदेशों से कोई आपत्ति नही न्यायालय के आदेशों का हम सम्मान करते है। लेकिन न्याय सबके लिए बराबर होना चाहिए।अगर कार्रवाई करनी है तो पूरे ठाणे महानगरपालिका क्षेत्र में की जाए, केवल मुंब्रा को निशाना बनाना ठीक नहीं। दोहरी नीति नहीं चलेगी। पहले गरीबों को घर दो, फिर इमारतें तोड़ो।”दूसरी ओर, अनवर कच्ची के उद्देश्य को लेकर लोगों के बीच सवाल उठ रहे हैं। उनका कहना है कि उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के आश्वासन से ही मुंब्रा-शील की जनता को राहत मिल रही है।
अब देखना यह है कि आने वाले दिनों में बाज़ी किसके हाथ लगती है – अनवर कच्ची की पहल से जनता को राहत मिलेगी या फिर रफ़ीक़ कामदार की अगुवाई से हज़ारों परिवारों को न्याय मिलेगा। फिलहाल, हज़ारों लोगों की निगाहें शासन और प्रशासन और मुंबई न्यायालय के फैसले पर टिकी हुई हैं।