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“दरिंदगी की हद: नवजात के मुंह में पत्थर और फेवीक्विक, फिर फेंका जंगल में —ऐसे बची जान

 

राजस्थान के भीलवाड़ा में इंसानियत झकझोर देने वाला मामला सामने आया है, जहां निर्दयता की सारी हदें पार करते हुए 10 से 15 के नवजात शिशु के मुंह में पत्थर ठूंस कर ऊपर से फेविक्विक से मुंह बंद कर पत्थरों के बीच छुपा दिया गया. हालांकि नवजात शिशु को ग्वालों ने फरिश्ता बनकर बचा लिया.

दरअसल, ये पूरा मामला भीलवाड़ा जिले के बिजौलिया क्षेत्र का है, जहां जंगल में सीता का कुंड मंदिर के पास पत्थरों के बीच एक दस से बीस दिन का नवजात तड़प रहा था. उसके नन्हे मुंह में कंकर ठूंसा गया था ओर फेवीक्विक डाला गया था. जैसे कोई उसकी सिसकियों को हमेशा के लिए खामोश करना चाहता था.

पहले देखिए बच्चे की 5 PHOTOS…

पत्थरों के नीचे बच्चे को दबाया गया था।
                                             पत्थरों के नीचे बच्चे को दबाया गया था।
मवेशी चराने वाले ने पत्थरों के ढेर के पास से बच्चे को अस्पताल में पहुंचाया।
         मवेशी चराने वाले ने पत्थरों के ढेर के पास से बच्चे को अस्पताल में पहुंचाया।

ग्वालों ने बचाई जान

यह दृश्य नहीं, मानवता का कत्ल जैसा दिखाई दिया. जंगल में पशुओं को चराने आए ग्वालों को जब पता चला तो नन्हीं सी जान को देखकर भौचक्के रह गए. इसके बाद मामले की सूचना पुलिस को दी गई. वहीं नन्ही सी जान को अस्पताल पहुंचाया गया, जहां अभी उसका इलाज चल रहा है. हालांकि अभी तक ये खुलासा नहीं हुआ है कि आखिर इस बच्चे को इस जंगल में कौन छोड़कर गया है. घटना को लेकर स्थानीय लोगों में आक्रोश देखा गया. वहीं पुलिस अपनी तफ्तीश में जुट गई है.

ग्रामीण भंवर सिंह और लक्की बन्ना ने बताया की आज एक चरवाहा जब मंदिर के ऊपर की ओर पहुचा तो उसे कराहने की आवाज सुनाई दी. नजदीक जाकर देखा तो पत्थरों के नीचे मासूम दबा पड़ा था. उसने तुरंत अन्य ग्रामीणों को सूचना दी और बच्चे को बाहर निकाला. मौके पर मौजूद लोगों ने तुरंत पुलिस और एम्बुलेंस को बुलाया.

मुंह से पत्थर निकालने के बाद बच्चा रोने लगा।
                                        मुंह से पत्थर निकालने के बाद बच्चा रोने लगा।
जहां बच्चा मिला, उसके पास ही फेवीक्विक का खाली पैकेट भी पड़ा था।
                     जहां बच्चा मिला, उसके पास ही फेवीक्विक का खाली पैकेट भी पड़ा था।
बिजौलिया के उप जिला हॉस्पिटल में जांच और प्राथमिक उपचार के बाद बच्चे को भीलवाड़ा के हायर सेंटर रेफर कर दिया गया।
बिजौलिया के उप जिला हॉस्पिटल में जांच और प्राथमिक उपचार के बाद बच्चे को भीलवाड़ा के हायर सेंटर रेफर कर दिया गया।

डॉक्टर ने क्या बताया?

नवजात को कस्बे के अस्पताल में भर्ती कराया गया. डॉ. मुकेश धाकड़ ने बताया कि बच्चा बेहद कमजोर हालत में लाया गया. उसके मुंह पर फेवीक्विक लगाने से कट के निशान बन गए हैं और गर्मी के कारण शरीर का बायां हिस्सा पूरी तरह से झुलस गया है. फिलहाल प्राथमिक इलाज के बाद उसकी स्थिति स्थिर है.

सूचना भीलवाड़ा चाइल्ड वेलफेयर टीम को दे दी गई है. जिस पर विनोद राव मौके पर पहुंचे और बच्चे को तत्काल भीलवाड़ा महात्मा गांधी चिकित्सालय के शिशु वार्ड के आयशु वार्ड में रखा गया है जहां पर बच्चे का इलाज जारी है, बच्चे को आगे की देखभाल के लिए पालना घर भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है.

‘दोषियों को मिले कड़ी सजा’

इस दर्दनाक घटना से इलाके में आक्रोश और सदमा है. ग्रामीणों का कहना है कि मासूम पर इस तरह की अमानवीय क्रूरता करने वाले दोषियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए. पुलिस ने अज्ञात महिला की तलाश शुरू कर दी है.

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