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शासन को भेजी गई मकबरा तोड़फोड़ मामले की रिपोर्ट

– मकबरे की ओर बढ़ने वाली भीड़ को नहीं रोक पायी पुलिस
– मकबरे पर भगवा झण्डा लगाने की फाइल फोटो।
फतेहपुर। बीती ग्यारह अगस्त को आबूनगर स्थित अब्दुस समद के मकबरे पर हुई तोड़फोड़ के मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा मांगी गयी रिपोर्ट कमिश्नर प्रयागराज व आईजी पय्यागराज द्वारा शासन को भेजी गई है। जानकारो की माने तो शासन को भेजी गई 80 पन्नों की रिपोर्ट में कमिश्नर व आईजी द्वारा की गयी जांच में घटना का सिलसिलेवार ब्यौरा भेजा गया है। जिसमें अगस्त को हिन्दू संगठन द्वारा मकबरे को ठाकुर जी का मंदिर बताकर पूजा करने का आह्वान पर भीड़ को बुलाने एवं डाक बंगले के निकट कर्पूरी ठाकुर चौराहे पर एकत्र भीड़ को मकबरा स्थल तक रोकने के पुलिसिया इंतज़ाम को नाकाफी बताया गया है। पुलिस के द्वारा भीड़ को रोकने के लिए कर्पूरी ठाकुर चौराहे पर बेरिकेट लगाए गए थे साथ ही मकबरा की सुरक्षा के लिए स्थल के आस-पास बांस बल्लियों की बेरिकेट्स भी लगाये गए थे और बेरिकेट्स के आगे भारी पुलिस बल लगाया गया था लेकिन भीड़ बेकाबू हो गयी और मकबरा स्थल तक पहुंचने में कामयाब भी हो गयी। जहां भीड़ ने मुख्य इमारत स्थित कब्रों पर तोड़फोड़ की।

जिम्मेदारी तय हुई तो नपेंगे बड़े अफसर
मकबरा तोड़फोड़ मामले में शासन को भेजी गयी रिपोर्ट में भीड़ मैनेजमेंट करने में नाकाम रहने व खुफिया विभाग की लापरवाही उजागर हुई है। बेरिकेट्स में तैनात कर्मियों के अलावा उस समय मुख्य भूमिका में रहे कई बड़े अफसरों को भी ज़िम्मेदार बताया का रहा है जिससे बड़े अफसरों पर भी कार्रवाई की तलवार लटक सकती है।

ग्यारह अगस्त की घटना
मकबरा अब्दस समद के मकबरा को हिन्दू संगठन के द्वारा ठाकुर जी बिराजमान मंदिर बताते हुए लोगांे से पहुंचकर पूजा अर्चना करने का आह्वान किया गया था इससे पूर्व आठ अगस्त को मठ मंदिर संघर्ष समिति ने जिलाधिकारी को ज्ञापन देकर पूजा अर्चना की मांग की थी। बीजेपी जिलाध्यक्ष मुखलाल पाल समेत बड़े चेहरों के आह्वान पर पूजा अर्चना करने के लिए कर्पूरी ठाकुर चौराहा पर भारी भीड़ एकत्र थी। बेकाबू भीड़ बेरिकेट्स तोड़कर मकबरा पहुंची जहां मकबरा में स्थित कब्रो में तोडफोड़ की गई।

10 नामजद समेत 150 पर हुई थी एफआईआर
मकबरा मामले में पुलिस ने कार्रवाई करते हुए भाजपा नेताओं समेत 150 पर एफआईआर दर्ज की है। जिसमें धर्मेंद्र सिंह (बजरंग दल), अभिषेक शुक्ला (भाजपा), अजय सिंह (जिला पंचायत सदस्य), देवनाथ धाकड़े (भाजपा), विनय तिवारी (नगर पार्षद), पुष्पराज पटेल, ऋतिक पाल और प्रसून तिवारी (भाजपा), मनोज त्रिवेदी और पप्पू चौहान (समाजवादी पार्टी से निष्काशित) का नाम शामिल है।

अपने अपने दावे
मकबरे के मुतवल्ली स्व0 अनीस के पुत्र अबु हुरैरा के अनुसार गाटा संख्या 753 में मकबरा है। संरचना को लगभग 300 साल पुरानी बताया। इसे सम्राट अकबर के पौत्र द्वारा बनवाया था। वहीं जिले के इतिहासकारों ने भी मकबरे का जिक्र अपनी किताबों में किया है। अंग्रेजी गजेटियर में भी मकबरे का ही जिक्र है। इतिहासकार स्व0 ओम प्रकाश अवस्थी, प्रो0 डा0 इस्माइल आजाद ने मकबरे का विस्तार से जिक्र अपनी-अपनी पुस्तकों में किया है। वहीं तत्कालीन इतिहासकार सतीश द्विवेदी ने लाइव आकर मकबरे की सच्चाई को बयान किया और उन्होने कहा कि वास्तव में तीन सौ वर्ष पुरानी शैली में बना वह मकबरा ही है। उन्होने उस शैली में निर्मित मठ-मंदिरों की निर्मित स्थिति पर भी विस्तार से चर्चा की। उन्होने बताया कि उसके अंदर दो मजारें अब्दुस समद एवं उनके बेटे अबु अहमद खान की है और आबूनगर का नाम भी अबु के ही नाम से आबूनगर रखा गया था। उन्होने बताया कि तीन सौ वर्ष पहले वह पूरा इलाका स्टेशन तक झील के रूप में था और इसके इधर आबूनगर और उस पार खेलदार मुहल्ला स्थित है। जिसका जिक्र इतिहास के पन्नो में दर्ज है। उन्होने आगे कहा कि मुगलकाल के बाद पूरी जमीन का स्थानांतरण अंग्रेजों के पास गया, तत्पश्चात अंग्रेजों ने जब भारत छोड़ा तो फतेहपुर शहर का अधिकतर भू-भाग मान सिंह परिवार को ट्रांसफर हुआ। उधर हिन्दू संगठन इसे ठाकुर जी विराजमान का मंदिर बताते हैं।

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