ऑल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने अगले 87 दिनों तक नए वक्फ कानून के विरोध में ‘वक्फ बचाव अभियान’ की शुरुआत 11 अप्रैल से की। AIMPLB ने कहा था कि अभियान शांतिपूर्वक किया जाएगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। पश्चिम बंगाल में नए वक्फ कानून के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन के बाद सीमावर्ती इलाकों में बीएसएफ (बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स) तैनात कर दी गई है। इसके बाद से सभी इलाकों में हालात सामान्य बने हुए हैं। मुर्शिदाबाद के जंगीपुर में लोगों ने विरोध प्रदर्शन के दौरान कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया था।
इसके बाद इलाके में सुरक्षा बढ़ा दी गई है और सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं। बंगाल पुलिस के अनुसार जंगीपुर के सुती और समसेरगंज इलाकों में स्थिति अब नियंत्रण में है। मुर्शिदाबाद के साजुर मोड़, सेंसरगंज में शुक्रवार को वक्फ विरोधी प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा के कारण यह स्थान अब आतंक का दूसरा नाम बन गया है। यहां शुक्रवार की नमाज के बाद वक्फ कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ। पिछले मंगलवार को उमरपुर में भी हिंसा की ऐसी ही घटना घटी थी। शुक्रवार को सुती थाना इलाका, शमसेरगंज इलाके में भी भीषण तांडव हुआ था।
सूती ट्रैफिक गार्ड में आगजनी और तोड़फोड़ की गई। वहीं, श्रीहरि नाम के एक होटल समेत कई सारे दुकानों पर तोड़फोड़ आगजनी की गई और एक बाइक जला दी गई। मुर्शिदाबाद के सेंसरगंज में श्रीहरि लॉज के हर एक रूम में तोड़फोड़ की गई और इस होटल को आग के हवाले कर दिया गया। शमशेरगंज ट्रैफिक बूथ पर भी आगजनी और तोड़फोड़ की गई। शुक्रवार दोपहर हुई हिंसा के बाद इन इलाकों में बीएसएफ तैनात कर दी गई है। इसके बाद से हालात सामान्य हैं।
उग्र प्रदर्शनकारियों ने रेल लाइन में भी शुक्रवार को भारी हिंसा की थी। इस वजह से कई ट्रेनें रुक गई हैं। सिगनलिंग लॉज पर भी भारी तोड़फोड़ और आगजनी, पथराव से खासा नुकसान हुआ है। हिंसा को लेकर राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से बात की है। पुलिसकर्मी और बीएसएफ के जवान इन इलाकों में शांति बनाए रखने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार लगभग 300 बीएसएफ जवान देश के अंदरूनी हिस्सों में तैनात किए गए हैं। अक्टूबर 2021 में बीएसएफ एक्ट 1968 में संशोधन कर बीएसएफ की अधिकारिता को सीमा से 15 किलोमीटर से बढ़ाकर 50 किलोमीटर तक बढ़ा दिया गया था। इसी वजह से बांग्लादेश सीमा से सटे इलाकों में बीएसएफ की तैनाती की गई है।
मुर्शिदाबाद जिले के सुती में निषेधाज्ञा के बावजूद प्रदर्शनकारी एकत्र हुए और सड़कों को अवरुद्ध कर दिया। प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षाकर्मियों पर पथराव किया, जुलूस के दौरान पुलिस वैन और सार्वजनिक बसों को आग लगा दी। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के अनुसार, समस्या तब शुरू हुई जब जुमे की नमाज के बाद मुस्लिम समुदाय के लोग एकत्र हुए और वक्फ कानून के खिलाफ प्रदर्शन किया। उन्होंने शमशेरगंज में डाकबंगला मोड़ से सुतिर सजुर मोड़ तक राष्ट्रीय राजमार्ग-12 के एक हिस्से को अवरुद्ध कर दिया।
उन्होंने कहा, ‘‘प्रदर्शन तब हिंसक हो गया, जब प्रदर्शनकारियों ने एक पुलिस वैन पर पथराव किया। इसके परिणामस्वरूप पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हुई, जिसमें लगभग 10 पुलिसकर्मी घायल हो गए।’’ अधिकारी ने बताया कि कुछ प्रदर्शनकारियों ने पुलिसकर्मियों पर बम जैसे पदार्थ फेंके जिसके बाद पुलिस ने ‘‘अनियंत्रित भीड़’’ को नियंत्रण में लाने के लिए लाठीचार्ज किया और बाद में प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े।
एक अन्य अधिकारी ने बताया कि हिंसा के बीच कुछ पुलिसकर्मियों को पास की एक मस्जिद में शरण लेनी पड़ी। वहीं, जिला प्रशासन ने सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) से हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है। अधिकारियों के अनुसार मालदा में प्रदर्शनकारियों ने रेल पटरियों पर धरना दिया जिससे ट्रेन की आवाजाही प्रभावित हुयी। उन्होंने बताया कि पूर्वी रेलवे के फरक्का-आज़िमगंज खंड पर भी ट्रेन सेवाएं प्रभावित हुईं। इस बीच, राज्यपाल सी वी आनंद बोस ने राज्य सरकार को संवेदनशील क्षेत्रों में गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ तत्काल और प्रभावी कार्रवाई करने को कहा है।