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300 करोड़ की ठगी का पर्दाफाश: राजेश मौर्य की गिरफ्तारी से खुला सरकारी गिरोह का राज

 

बरेली में श्री गंगा इंफ्रासिटी का निदेशक राजेश मौर्य कई मुकदमों में वारंट होने के बाद जेल भेजा गया है, लेकिन उसके द्वारा ठगे गए लोगों को राहत नहीं मिल सकी है। तीन भाइयों और पिता के साथ मिलकर उसने ठगी का गिरोह खड़ा किया था। सूत्रों के मुताबिक, एक सरकारी कर्मचारी की पत्नी और एक बैंक कर्मचारी राजेश के साझीदार थे। ज्यादा ब्याज और भूखंड का लालच देकर उसने लोगों से करोड़ों रुपये निवेश कराया था। मुकदमे में इनके नाम शामिल नहीं किए गए थे।

बारादरी के चंद्रगुप्तपुरम निवासी राजेश मौर्य के खिलाफ पुलिस ने कार्रवाई शुरू की तो पूरा परिवार फंसता चला गया। उसका रसूख और रुपये की ताकत भी काम नहीं आई। सबूत मिलते गए और मुकदमे दर्ज होते रहे। बारादरी पुलिस ने वर्ष 2019 में राजेश मौर्य, उसके भाई मनोज मौर्य, अजय मौर्य, दिनेश मौर्य और पिता रामदेव मौर्य पर गैंगस्टर की कार्रवाई कर दी। इसके बाद शिकंजा और कसा। सभी को जेल की हवा खानी पड़ी।

मूल रूप से कुशीनगर निवासी राजेश मौर्य के पिता रामदेव प्रसाद वर्ष 2015 में नगर निगम के नलकूप ऑपरेटर पद से रिटायर हुए थे। वर्ष 2018 में राजेश मौर्य और उसके भाई मनोज मौर्य ने श्री गंगा इंफ्रासिटी नाम से कंपनी बनाई। दोनों इसके निदेशक बन गए। दोनों भाइयों ने अपने साथ अपने भाई अजय मौर्य, दिनेश मौर्य और पिता रामदेव मौर्य को लगा लिया। सभी ने मिलकर अपने ठगी वाले गिरोह में तीन सगे भाइयों शिवनाथ मौर्य, कृष्णनाथ मौर्य, विश्वनाथ मौर्य को एजेंट के तौर पर शामिल किया।
अफसर और इंजीनियर का नाम भी चर्चा में रहा 
चंद्रगुप्तपुरम निवासी रामकिशोर और मॉडल टाउन निवासी संदीप सिंह उर्फ चंदीप भी कंपनी में शामिल हुए। इन सभी ने मिलकर लोगों से निवेश कराया। कंपनी चर्चा में आई तो कई रसूखदार लोग भी साझीदार बन गए। कई सरकारी अधिकारियों ने अपने रिश्तेदारों और पत्नियों के जरिये राजेश की कंपनी में अपनी काली कमाई लगा दी। इनमें एक सरकारी क्षेत्र के बड़े बैंक का अधिकारी और निर्माण कार्य से जुड़े विभाग के अभियंता का नाम चर्चा में रहा। अभियंता ने अपनी पत्नी के नाम से पार्टनरशिप की थी। जब पुलिस ने कार्रवाई शुरू की तो पार्टनर बच निकले, लेकिन राजेश मौर्य व उसके परिवार पर शिकंजा कसता गया।
आरोपी के पास से बरामद हुए थे सिर्फ 1.96 लाख
शहरवासियों से तीन सौ करोड़ रुपये की ठगी कर भागने वाले राजेश को जब गाजियाबाद से गिरफ्तार किया गया तो निवेशकों को लगा कि शायद उनके रुपये मिल जाएंगे। काफी दिनों की पूछताछ के बाद भी पुलिस राजेश से महज 1.96 लाख रुपये ही बरामद कर सकी। पुलिस ने उसके 21 बैंक खातों में दस लाख रुपये सीज कर दिए थे। कंपनी की आठ लग्जरी कारें भी पुलिस ने सीज कर दी थी। जब राजेश भागा था तो उसने योजना के तहत खातों से करोड़ों रुपये निकाल लिए थे। राजेश ने ये रुपये कहां निवेश किए, यह सवाल आज भी कायम है।

अब भी रकम वापसी की राह देख रहे निवेशक
श्री गंगा इंफ्रासिटी में निवेश कर कई लोगों ने अपनी जीवनभर की जमा पूंजी गंवा दी। जब राजेश मौर्य को क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार किया था, तभी राजेश ने कंपनी के ही कुछ लोगों पर रकम हड़पने और कंपनी का बंटाधार करने का आरोप लगाया था। राजेश ने दावा किया था कि अगर उसकी कुछ मदद की जाए तो वह निवेशकों का रुपया लौटा सकता है, लेकिन निवेशकों ने राजेश के ऊपर दोबारा भरोसा करने से मना कर दिया था। कई निवेशक आज भी राजेश के खिलाफ चेक बाउंस का केस इस उम्मीद में लड़ रहे हैं कि शायद उनकी रकम वापस मिल जाए।

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