– सीईओ के बाद अब डायरेक्टर्स पर शिकंजा, जुलाई में हो सकती है गिरफ्तारी
– यूपी, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड तक फैला जाल; केंद्रीय एजेंसियों की रडार पर छह मुख्य आरोपी
लखनऊ/एनसीआर/बाराबंकी: हाई रिटर्न के नाम पर जनता को लूटने वाली बहुचर्चित कंपनी व्यूनाउ की ठगी अब केंद्रीय एजेंसियों के निशाने पर है। कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) की गिरफ्तारी के बाद अब प्रवर्तन निदेशालय (ED), सीबीआई और आयकर विभाग ने इसके डायरेक्टर्स और अन्य मुख्य पदाधिकारियों के खिलाफ शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। जुलाई माह में इन आरोपियों की गिरफ्तारी और उनकी अवैध संपत्तियों पर कार्रवाई की पूरी तैयारी है।
कई राज्यों में फैला था नेटवर्क, सबसे अधिक शिकार उत्तर प्रदेश में
व्यूनाउ कंपनी ने उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड और राजस्थान जैसे राज्यों में लोगों को झूठे मुनाफे का लालच देकर करोड़ों रुपये का निवेश करवाया। कंपनी का सबसे ज्यादा असर उत्तर प्रदेश में देखने को मिला, जहां अकेले लखनऊ, नोएडा और एनसीआर क्षेत्रों में हजारों लोगों से पैसे ऐंठे गए। बाराबंकी में कंपनी से जुड़ा एक प्रमुख सहयोगी लगातार जांच एजेंसियों की गतिविधियों की जानकारी आरोपियों तक पहुंचाता रहा है। अब उसकी कॉल डिटेल्स और डिजिटल संचार नेटवर्क की गहराई से निगरानी की जा रही है।
ये हैं ठगी के मुख्य खिलाड़ी:
जिन छह मुख्य आरोपियों पर कार्रवाई की तैयारी चल रही है, उनके नाम और कार्यक्षेत्र निम्न हैं:
नाम प्रदेश/शहर भूमिका
संदीप वोहरा जींद, हरियाणा कंपनी का को-फाउंडर और डायरेक्टर
जॉली सिंह पंजाब वितरक नेटवर्क का प्रमुख संचालनकर्ता
विष्णु गुप्ता चंडीगढ़ निवेश प्रबंधन प्रमुख रमेश सिंघरोहा जींद, हरियाणा धन संग्रह योजना का क्षेत्रीय प्रभारी कमल अशवाल ऋषिकेश, उत्तराखंड फर्जी कार्यालय व सेमिनार आयोजक जसप्रीत सिंह पंजाब कथित मनी लॉन्ड्रिंग नेटवर्क से जुड़ा व्यक्ति
ढाई लाख लोगों से 250 करोड़ की ठगी, यूपी में अकेले 850 करोड़ का निवेश जुटाया
सूत्रों की मानें तो व्यूनाउ कंपनी ने करीब 1.5 लाख से अधिक निवेशकों से 250 करोड़ रुपये की ठगी की, जबकि उत्तर प्रदेश में यह आंकड़ा 850 करोड़ से अधिक जा पहुंचा है। कंपनी ने इस धोखाधड़ी को अंजाम देने के लिए फर्जी वेबसाइट, मोबाइल ऐप्स और ऑनलाइन पोर्टलों का सहारा लिया।
जांच एजेंसियों की कड़ी निगरानी में आरोपी, बाराबंकी कनेक्शन सबसे अहम
व्यूनाउ घोटाले से जुड़े आरोपियों के बैंक खातों, संपत्तियों, और डिजिटल संचार माध्यमों पर निगरानी की जा रही है। बाराबंकी निवासी एक आरोपी गुप्ता की भूमिका को इस घोटाले का सबसे अहम कड़ी माना जा रहा है। वहीं सूत्रों का कहना है कि कंपनी के कुछ अन्य प्रमुखों से “सैटेलमेंट डील” की कोशिशें भी चल रही हैं।
केंद्रीय मंत्री ने लिया संज्ञान, गिरफ्तारी की कार्रवाई जल्द
इस बहुचर्चित ठगी कांड पर एक केंद्रीय मंत्री ने भी संज्ञान लिया है, जिससे उम्मीद जताई जा रही है कि मामले में दबाव बढ़ेगा और आरोपियों की गिरफ्तारी जुलाई महीने में हो सकती है। हालांकि, कुछ एजेंसियों पर आरोप है कि वे मामले को दबाने और आरोपियों को बचाने में लगी हुई हैं। लेकिन जांच की गति और खुलासों से यह स्पष्ट है कि जल्द ही इस घोटाले की परतें पूरी तरह खुल सकती हैं।