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”दिल्ली में घरों से लेकर शमशान घाट तक भरा यमुना का पानी: फसलें तबाह”

दिल्ली की पहचान यमुना है. जब इसकी लहरें शांत होती हैं तो बड़ा सुकून देती हैं, लेकिन जब ये उफान पर होती हैं तो सबकुछ तबाह कर देती हैं. इन दिनों यमुना ने विकराल रूप धारण कर लिया है. नदी का जलस्तर 206.93 मीटर पर पहुंच गया है, जोकि खतरे के निशान के ऊपर है. एनसीआर के वो इलाके जोकि यमुना के आसपास हैं, वहां पानी भर गया है.

बुधवार को दिल्ली में यमुना नदी के किनारे बसी कॉलोनियों मयूर विहार, जैतपुर पुश्ता, श्याम घाट और यमुना बाजार का दृश्य बेहद ही भयावह था. चारों तरफ बाढ़ का मटमैला पानी फैला हुआ था, जिसमें खाटें तैर रही थीं. लोग अपने घुटनों तक गहरे पानी में से होकर गुजर रहे थे. घरों के अंदर बेड के नीचे तक पानी पहुंच चुका था. सिर पर जरूरी सामान रखकर सुरक्षित स्थानों की तरफ जा रहे थे. यहीं हाल नोएडा के मंगरौली, याकूतपुर और झट्ट गांव का था.

बाढ़ का सबसे ज्यादा असर किसानों पर पड़ा है. मदनपुर खादर जैसे बाढ़ प्रभावित इलाकों में किसानों की फसलें बर्बाद हो गई हैं. किसान रामशंकर ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि उनके चाचा ने फसल उगाने के लिए बहुत मेहनत की थी, लेकिन सब कुछ बर्बाद हो गया. उन्होंने कहा कि जलस्तर हर घंटे बढ़ रहा है, जिससे उनके खेत पूरी तरह से जलमग्न हो गए हैं.

एक अन्य किसान विकास ने बताया कि उनके परिवार की आजीविका पूरी तरह से खेती पर निर्भर है और अब आधे से ज्यादा खेत पानी में डूब गए हैं. बाढ़ ने सिर्फ फसलों और खेतों को ही नहीं, बल्कि लोगों के घरों को भी अपनी चपेट में ले लिया है. कई लोगों को अपना आशियाना छोड़कर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा है.

मदनपुर खादर के एक निवासी ने बताया कि खेतों के साथ-साथ उनकी झोपड़ियां भी पानी में डूब गई हैं. उन्होंने शिकायत की कि पुलिस उन्हें वहां से हटने के लिए कह रही है, लेकिन उनके लिए रहने की कोई व्यवस्था नहीं की गई है. यमुना पार के इलाकों में तो रात भर हुई बारिश के कारण घरों में पानी भर गया, जिससे फर्नीचर भीग गए और लोगों को काफी नुकसान हुआ.

आईएसबीटी के पास मॉनस्ट्री मार्केट और आस-पास के रिहायशी इलाकों में भी पानी भर गया है. मॉनस्ट्री का लद्दाख बुद्धविहार मंदिर भी जलमग्न हो चुका है. जलस्तर बढ़ने से निगम बोध घाट और यमुना बाजार जैसे अन्य इलाके भी प्रभावित हुए हैं. यमुना बाजार में लगभग 10 फुट तक पानी भर चुका है.

प्रशासन ने स्थिति को गंभीरता से लिया है. अधिकारियों ने बताया कि हरियाणा के हथिनीकुंड बैराज और अन्य बैराजों से पानी छोड़े जाने से स्थिति और भी बिगड़ गई है. नावों से घोषणाएं करके नदी के किनारे रहने वाले लोगों से सुरक्षित स्थानों पर जाने का आग्रह कर रहे हैं.

बाढ़ के कारण बेघर हुए लोग अपने सामान के साथ सुरक्षित जगहों की तलाश कर रहे हैं. लगातार बढ़ता जलस्तर और भविष्य की अनिश्चितता ने उनके जीवन में एक गहरा संकट पैदा कर दिया है. यह बाढ़ दिल्ली के निचले इलाकों में रहने वाले हजारों लोगों के जीवन को पूरी तरह से अस्त-व्यस्त कर दिया है.

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