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“मानवता की मिसाल: भारत ने अफगानिस्तान के भूकंप पीड़ितों को भेजी 21 टन राहत सामग्री”

भारत हमेशा से पड़ोसियों की मदद के लिए आगे रहता है. भारत ने नेपाल, बांग्लादेश, मालदीव ही नहीं बल्कि सीमाओं से दूर बसे तुर्की, फिलिस्तीन आदि की भी आपदाओं में मदद की है. 1 सितंबर को पूर्वी अफगानिस्तान के नंगरहार प्रांत में देर रात 6.0 तीव्रता का भूकंप आया, जिसकी गहराई आठ किलोमीटर थी. इसने प्रांत में भयानक तबाही मचाई है, जिसमें 1400 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है.

अफगानिस्तान की इस दुख की घड़ी भारत असली दोस्त बनकर आगे आया है. विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मंगलवार को बताया कि भारत ने पूर्वी अफगानिस्तान में शनिवार में आए विनाशकारी भूकंप के बाद काबुल में 21 टन मानवीय सहायता पहुंचाई है.

एक्स पर उन्होंने पोस्ट किया, “भारतीय भूकंप सहायता हवाई मार्ग से काबुल पहुंच गई है. कंबल, टेंट, स्वच्छता किट, जल भंडारण टैंक, जनरेटर, रसोई के बर्तन, पोर्टेबल वाटर प्यूरीफायर, स्लीपिंग बैग, आवश्यक दवाएं, व्हीलचेयर, हैंड सैनिटाइजर, जल शोधन गोलियां, ओआरएस घोल और चिकित्सा उपभोग्य सामग्रियों सहित 21 टन राहत सामग्री आज हवाई मार्ग से पहुंचाई गई.”

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने मंगलवार को पूर्वी अफगानिस्तान में भूकंप से बचे लोगों को तत्काल राहत देने के लिए अतिरिक्त संसाधनों का आह्वान किया है और कहा कि मौजूदा मानवीय सहायता राशि ज़रूरतों को पूरा करने के लिए अपर्याप्त है.

एक बयान में, गुटेरेस ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र, तालिबान अधिकारियों के साथ मिलकर स्थिति का आकलन कर रहा है और प्रभावित लोगों के लिए और सहायता जुटा रहा है. उन्होंने कहा कि प्रारंभिक कदम के रूप में, संयुक्त राष्ट्र ने राहत प्रयासों में सहायता के लिए अपने आपातकालीन कोष से 50 लाख डॉलर आवंटित किए हैं.

तालिबान ने मंगलवार को कहा कि कुनार प्रांत में आए भूकंप से मरने वालों की संख्या बढ़कर 1,411 हो गई है, 3 हजार से ज्यादा लोग घायल हुए हैं और 5 हजार से अधिक घर नष्ट हो गए हैं. तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने एक्स पर लिखा कि नर्गल, सूकी, चपा दारा, पेच दारा और असदाबाद जिलों में लोगों की मौत की सूचना मिली है.

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