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”ईरान में शर्मनाक कांड: क्रांति शहीदों की कब्रगाह बनी वाहन पार्किंग, इतिहास पर पड़ता दुखद प्रहार”

ईरान की राजधानी तेहरान में अब मुर्दों के सीने वाहनों के पहिये से रौंदे जाएंगे। यह कोई सामान्य मुर्दे नहीं हैं, बल्कि ईरान में 1979 की क्रांति में मारे गए लोग हैं, जिनकी कब्रगाह को अब सरकार ने पार्किंग स्थल में बदल दिया है। बता दें कि ईरान के सबसे बड़े कब्रिस्तान ‘बेहेश्त-ए-ज़हरा’ में मौजूद रेतीला भूभाग 1979 की इस्लामिक क्रांति का गवाह था। इस भूभाग को इस्लामिक क्रांति के दौरान मारे गए हजारों लोगों की अंतिम आरामगाह बनाया गया था। मगर अब इसको एक पार्किंग स्थल में तब्दील किया जा रहा है।

‘लॉट 41’ नाम का यह हिस्सा लंबे समय से कैमरों की नजर में रहा है। मगर अब इसको डामर से ढका जा रहा है। Planet Labs PBC की उपग्रह तस्वीरों में दिखाया गया है कि इस क्षेत्र में पार्किंग बनाने का काम अगस्त की शुरुआत में आरंभ हो गया था। 18 अगस्त तक इसका आधा हिस्सा पक्के तौर पर ढक चुका था।

ईरान में 1979 में हुई इस क्रूर क्रांति के बाद नवगठित इस्लामिक शासन के विरोधियों को बंदूकों से मार दिया गया था और कुछ को फांसी पर लटकाकर दर्दनाक मौत की सजा दी गई थी। बाद में उन्हें इसी हिस्से में जल्दी-जल्दी दफना दिया गया था। अब इन कब्रों को नजरअंदाज कर दिए जाने और उनकी जगह पार्किंग बनाने के फैसले को “साक्ष्य मिटाने की एक कोशिश” बताया जा रहा है।

संयुक्त राष्ट्र के विशेष रिपोर्टर ने 2024 में ईरान द्वारा कब्रिस्तानों को नष्ट करने की कड़ी आलोचना की थी और इसे “कानूनी जवाबदेही से बचने की साज़िश” बताया गया था। एम्स्टर्डम विश्वविद्यालय के लेक्चरर शाहीन नासिरी ने कहा, “इस सेक्शन में अधिकांश कब्रों को अपवित्र कर दिया गया है, और वहां के पेड़ जानबूझकर सूखने दिए गए हैं। अब इसे पार्किंग में बदलना इस विनाश की अंतिम कड़ी है।”

ईरान में 1979 में हुई इस्लामिक क्रांति के बाद मारे गए लोगों की सामूहिक कब्रगाह पर पार्किंग स्थल बनाए जाने की पुष्टि पिछले हफ्ते तेहरान के एक डिप्टी मेयर दावूद गुदरज़ी और कब्रिस्तान के मैनेजर ने की थी। गुदरज़ी ने कहा, “यह वह स्थान है जहां क्रांति के शुरुआती दिनों में ‘मुनाफिक’ माने गए लोगों को दफनाया गया था। वर्षों से यह यूं ही पड़ा था, इसलिए अब इसे पार्किंग में बदला जा रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, पार्किंग से सटे इलाके में ईरान-इज़राइल युद्ध (जून 2025) में मारे गए लोगों को दफनाया जाएगा। इस युद्ध में 1,060 से अधिक लोगों की मौत सरकारी आंकड़ों में दर्ज की गई है, जबकि कार्यकर्ताओं के मुताबिक यह संख्या 1,190 से भी अधिक है।

ईरान के कानून के अनुसार 30 साल से अधिक पुराने कब्रिस्तानी स्थानों का पुनः उपयोग तभी किया जा सकता है जब मृतकों के परिवार सहमत हों, लेकिन लॉट 41 के मामले में ऐसा कोई सार्वजनिक सहमति पत्र सामने नहीं आया है। ईरानी वकील मोहनसिन बोर्हानी ने इस निर्णय को “नैतिक और कानूनी रूप से गलत” बताते हुए आलोचना की और कहा कि इस क्षेत्र में केवल राजनीतिक कैदी ही नहीं, बल्कि आम नागरिक भी दफन थे।

कहा जा रहा है कि यह कदम तेहरान की उस व्यापक नीति का हिस्सा लगता है, जिसमें ईरान ने 1988 की सामूहिक हत्याओं, बहा’ई समुदाय, और विरोध प्रदर्शनों (2009 ग्रीन मूवमेंट से लेकर 2022 महसा अमीनी आंदोलन तक) में मारे गए लोगों की कब्रों को भी नष्ट किया है। सेंटर फॉर ह्यूमन राइट्स इन ईरान के निदेशक हादी ग़ैमी कहते हैं, “ईरान में दशकों से अपराधों और मानवता के विरुद्ध अत्याचारों के लिए दंडमुक्ति की परंपरा चल रही है। 1980 के दशक की हत्याओं से लेकर 2019 और 2022 के प्रदर्शनों तक यह एक सिलसिला बन चुका है।” कहा जाता है कि लॉट 41 में 5,000 से 7,000 तक लोगों को दफनाया गया था, जिनमें वामपंथी, राजतंत्र समर्थक, धार्मिक अल्पसंख्यक और अन्य असंतुष्ट शामिल हैं।

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