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”डालीबाग में खत्म हुआ माफिया मुख्तार का आतंक, CM योगी की योजना से गरीबों को मिलेगा नया घर”

राजधानी लखनऊ में गरीबों को राहत देने के लिए बनी फ्लैटों की नई कॉलोनी अब देश के महापुरुषों के नाम से जानी जाएगी. डालीबाग इलाके में माफिया मुख्तार अंसारी से मुक्त कराई गई प्राइम लोकेशन की जमीन पर लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) ने दो ब्लॉकों में कुल 72 फ्लैटों का निर्माण कराया है. यह कॉलोनी अब सरदार वल्लभभाई पटेल के नाम से जानी जाएगी. सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जल्द ही इसका लोकार्पण करने वाले हैं.

गौरतलब है कि डालीबाग में माफिया मुख्तार अंसारी के कब्जे से मुक्त जमीन पर बनी कालोनी का नाम सरदार वल्लभ भाई पटेल कॉलोनी रखा गया है, जबकि देवपुर पारा में प्रसून विहार कॉलोनी भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के नाम पर होगी. दोनों का नामकरण हो गया है और अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कॉलोनियों का लोकार्पण करेंगे. डालीबाग में माफिया के कब्जे से मुक्त कराकर एलडीए ने दो ब्लाकों में 72 फ्लैटों का निर्माण कराया है. एलडीए ने इस क्षेत्र का विकास भी कराया है, इसीलिए हैदर कैनाल बंधे से 20 मीटर चौड़ी सड़क बनाई गई है, ताकि आवागमन और बेहतर हो सके
जानकारी के मुताबिक, यह जमीन लंबे समय तक माफिया कब्जे में रही. सरकारी कार्रवाई के बाद जमीन को मुक्त कराकर गरीबों और जरूरतमंदों के लिए आवासीय योजना तैयार की गई. एलडीए ने आधुनिक सुविधाओं से लैस दो ब्लॉकों का निर्माण कराया है, जिसमें गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों को फ्लैट उपलब्ध कराए जाएंगे. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का यह कदम न सिर्फ अवैध कब्जों के खिलाफ सख्ती का संदेश देता है बल्कि यह भी दर्शाता है कि अब माफियाओं से छुड़ाई गई जमीन पर गरीबों का हक सुनिश्चित किया जाएगा.वहीं उत्तर प्रदेश सरकार ने राजस्व नियमों में बड़ा बदलाव करने का फैसला किया है. अब राज्य में पट्टा वितरण की पात्रता सीमा घटाकर एक एकड़ कर दी गई है. यानी यदि किसी व्यक्ति के पास पहले से एक एकड़ जमीन है, तो उसे अतिरिक्त कृषि भूमि का पट्टा नहीं दिया जाएगा. मौजूदा नियमों के अनुसार पहले यह सीमा 3.111 एकड़ थी. इसका मतलब यह था कि जिन लोगों के पास तीन एकड़ से कम भूमि होती थी, वे पट्टा पाने के पात्र थे. लेकिन नए प्रावधान लागू होने के बाद केवल वे ही व्यक्ति लाभान्वित होंगे जिनके पास एक एकड़ से भी कम भूमि है या बिल्कुल जमीन नहीं है. कुल मिलाकर, इस नियम परिवर्तन के बाद यूपी में पट्टा वितरण का दायरा और सख्त हो जाएगा और इसका सीधा असर लाखों ग्रामीण परिवारों पर पड़ेगा.

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