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भारत में 4000 पार पहुंचे एक्टिव कोरोना केस: नया वैरिएंट कितना खतरनाक? घबराएं नहीं, जानें हर जरूरी बात

 

नई दिल्ली: देश में एक बार फिर कोरोना वायरस पांव पसारने लगा है. कोविड-19 के लगभग 4,000 सक्रिय मामलों के बीच स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने सोमवार को आश्वासन दिया कि घबराने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि संक्रमण की मौजूदा लहर से अस्पतालों पर अधिक बोझ पड़ने की संभावना नहीं है. स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से शेयर किए गए ताजा आंकड़ों के अनुसार, 4026 सक्रिय कोविड मामले हैं. 1 जनवरी, 2025 से अब तक कई राज्यों में मौतों की संख्या बढ़कर 37 हो गई है.

इस बीच, 2700 लोगों को छुट्टी दे दी गई या वे चले गए, जो इसके संक्रमण दर में सुधार को दर्शाता है. यहां हम आपको बताएंगें कि भारत में अभी कौन से वैरिएंट एक्टिव हैं और क्या मौजूदा संक्रमण से हमें घबराने की जरूरत है. यह नई लहर दो नए कोरोनावायरस वेरिएंट, एनबी.1.8.1 और एलएफ.7 के कारण आई है, जो ओमिक्रॉन जेएन.1 वेरिएंट के म्यूटेशन हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत गठित भारतीय SARS-CoV-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (आईएनएसएसीओजी) के आंकड़ों के अनुसार, दोनों भारत में पाए गए .

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में मोतीलाल नेहरू संयुक्त अस्पताल के मुख्य अधीक्षक डॉ. एस.के. चौधरी ने बताया, ” कोविड के मामले फिर से पॉजिटिव आ रहे हैं, घबराने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है. यह जेएन.1 वेरिएंट के कारण है, जो फिर से सामने आ रहा है.” साल्वे ने कहा कि इन वेरिएंट के कारण गंभीर संक्रमण की संभावना नहीं है, क्योंकि अधिकांश आबादी में प्राकृतिक प्रतिरक्षा होती है. उन्होंने कहा, “लक्षण पहले के कोविड संक्रमणों के समान हैं. चूंकि अधिकांश आबादी पहले ही संक्रमित हो चुकी है, इसलिए उनके पास प्राकृतिक प्रतिरक्षा होती है, जो उन्हें बीमारी के गंभीर रूप से प्रकट होने से बचाती है.”

कोरोना वायरस के NB.1.8.1 और LF.7 – JN.1 वैरिएंट क्या हैं?

पहले आपको समझना होगा कि वैरिएंट का मतलब क्या है. कोई भी वायरस फैलने के लिए किसी होस्ट (चाहे वो इंसान हो या जानवर) को संक्रमित करता है, और वह अपनी बहुत सारी कॉपी बनाता है. इस तरह जब कोई वायरस अपनी कॉपी बनाता है, तो वह हमेशा अपनी एक सटीक कॉपी तैयार करने में सक्षम नहीं होता है. समय के साथ, वह वायरस अपने जीन सीक्वेंस (जीन किस तरह लाइन में लगे हैं) में थोड़ा अलग होना शुरू कर सकता है. इस प्रक्रिया के दौरान उस वायरस के जीन सीक्वेंस में किसी भी बदलाव को म्यूटेशन के रूप में जाना जाता है, और इन नए म्यूटेशन वाले वायरस को ही वेरिएंट कहा जाता है. वेरिएंट एक या एक से अधिक म्यूटेशन से भिन्न हो सकते हैं. NB.1.8.1 और LF.7 दोनों कोरोना के JN.1 वैरिएंट में बदलाव होने से बने हैं आनी वे उप-वंशावली हैं.

क्या हमें घबराने की जरूरत है?

नई दिल्ली स्थित एम्स के सामुदायिक चिकित्सा केंद्र के अतिरिक्त प्रोफेसर डॉ. हर्षल आर. साल्वे ने न्यूज एजेंसी से कहा, “इस बात की संभावना बहुत कम है कि मौजूदा संक्रमण के कारण अस्पतालों पर अधिक बोझ पड़ेगा. इसलिए घबराने की जरूरत नहीं है. हालांकि, प्रकोप को शुरुआती चरण में ही पकड़ने के लिए निगरानी प्रणाली को मजबूत करने की जरूरत है.”

 

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