कर्नाटक में छोटे व्यापारियों के बीच उस वक्त बवाल मच गया जब कमर्शियल टैक्स डिपार्टमेंट ने हजारों GST नोटिस जारी कर दिए. ये नोटिस 2021 से 2024 तक के डिजिटल पेमेंट डेटा के आधार पर भेजे गए थे. कई विक्रेताओं को लाखों रुपये की टैक्स रिकवरी की चेतावनी दी गई, जबकि उनका कारोबार छूट प्राप्त वस्तुओं तक सीमित था. सबसे चौंकाने वाला मामला हवेरी के शंकरगौडा हदीमनी का सामने आया, जो सब्जियां बेचते हैं. उन्हें 1.63 करोड़ रुपये के UPI लेन-देन के आधार पर 29 लाख का नोटिस थमा दिया गया. इसी तरह कई छोटे दुकानदार, जैसे बेकरी, फूल वाले, चायवाले और किराना व्यापारी अचानक इनकम टैक्स के रडार पर आ गए. बता दें कि यह नोटिस स्टेट के जीएसटी विभाग द्वारा भेजा गया है. इस फैसले के खिलाफ गुस्सा इस कदर बढ़ा कि व्यापारियों ने अपनी दुकानों से UPI QR कोड हटाने शुरू कर दिए. कई इलाकों में केवल कैश लेनदेन की नोटिस लगाई गईं.
23 जुलाई को चाय, दूध और कॉफी की बिक्री रोककर विरोध जताया गया. कर्नाटक कर्मिका परिषद (KKP) और अन्य संगठनों ने 25 जुलाई को बंद का ऐलान किया. व्यापारी संगठनों का कहना था कि QR कोड से जुड़े ट्रांजैक्शंस में निजी लेन-देन भी शामिल हैं जिन्हें गलत तरीके से बिजनेस टर्नओवर मान लिया गया. कर्नाटक में छोटे दुकानदारों को जीएसटी नोटिस मिलने का बाद उनके द्वारा दुकानों से क्यूआर कोड हटाए जाने के कई वीडियो सामने आए हैं. हालांकि, वीडियो के कमेंट्स सेक्शन में कुछ लोगों का यह भी कहना है कि ये वीडियोज राज्य की सही तस्वीर नहीं पेश करते हैं. एक यूजर ने लिखा है कि कर्नाटक में यूपीआई का इस्तेमाल खूब किया जा रहा है. उसने यह भी कहा कि पिछले एक महीने से उसने अपना एटीएम कार्ड तक यूज नहीं किया है.
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने तुरंत हस्तक्षेप किया और FKCCI के साथ बैठक में साफ किया कि 9,000 के आसपास नोटिस भले भेजे गए हों, लेकिन जिनका कारोबार दूध, फल, फूल, बिना ब्रांड वाले खाद्य पदार्थ या अन्य छूट प्राप्त वस्तुओं का है, उन्हें टैक्स नहीं देना होगा. उन्होंने यह भी कहा कि पुराने टैक्स की वसूली नहीं की जाएगी, बशर्ते व्यापारी अब GST रजिस्ट्रेशन करा लें. सिद्धारमैया ने भरोसा दिलाया कि ऐसे मामलों को GST काउंसिल की अगली बैठक में केंद्र सरकार के सामने उठाया जाएगा. टैक्स विभाग ने ‘Know GST’ अभियान भी शुरू किया है ताकि व्यापारियों को नियमों की सही जानकारी मिल सके. सरकार की घोषणा के बाद FKCCI और कुछ संगठनों ने 25 जुलाई का बंद वापस ले लिया. हालांकि, KKP जैसे कुछ संगठन अभी भी नाराज हैं. उनका कहना है कि उन्हें बैठक में शामिल ही नहीं किया गया और नोटिस पूरी तरह रद्द होने चाहिए.