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“भागवत का बयान: तीन बार बैन के बाद मिली संघ को मान्यता, RSS भगवा को गुरु और तिरंगे का रखते हैं सम्मान”

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि हमारे संगठन को व्यक्तियों के एक निकाय के रूप में मान्यता दी जाती है। संघ की 1925 में स्थापना हुई थी। क्या आपको लगता है कि ब्रिटिश सरकार इसका रजिस्ट्रेशन करती? असल में कांग्रेस आरोप लगाती है कि RSS बिना रजिस्ट्रेशन के ही चलने वाला संगठन है।

भागवत ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद भारत सरकार ने रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य नहीं किया। हम लोगों के समूह की श्रेणी में आते हैं और हम एक जाना-माना संगठन हैं। इनकम टैक्स विभाग और अदालतें RSS को लोगों का समूह मानती हैं। हमारे संगठन को इनकम टैक्स से छूट दी गई थी। भागवत ने कहा कि संगठन को तीन बार बैन किया गया। इसके बाद हमारे संगठन को मान्यता दे दी। अगर हम नहीं थे, तो किस पर प्रतिबंध लगाया? ऐसी कई चीजें हैं, जो रजिस्टर्ड नहीं है। हिंदू धर्म भी रजिस्टर्ड नहीं है। संघ भगवा झंडे को मानता है, तिरंगे को नहीं, इस मुद्दे पर भागवत ने कहा कि संघ में भगवा को गुरु मानते हैं, लेकिन हम तिरंगे का बहुत सम्मान करता है। भागवत ने यह बात बेंगलुरु में आयोजित कार्यक्रम ‘100 साल का संघ: नए क्षितिज’ में कही। इस मौके पर आरएसएस के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले और कई सामाजिक हस्तियां मौजूद थीं।

मोहन भागवत की 6 बड़ी बातें…

1. भारत में सभी हिंदू है: यहां के सभी मुसलमान और ईसाई भी उन्हीं पूर्वजों के वंशज हैं। शायद वे भूल गए हैं या उन्हें भुला दिया गया है। भारत में कोई अहिंदू नहीं है।

2. भारत को ब्रिटिशों ने नहीं बनाया, यह प्राचीन राष्ट्र है- हमारा राष्ट्र ब्रिटिशों की देन नहीं है। हम सदियों से एक राष्ट्र हैं। दुनिया के हर देश की एक मूल संस्कृति होती है। भारत की मूल संस्कृति क्या है? कोई भी परिभाषा दें, वह आखिर में ‘हिंदू’ शब्द पर ही पहुंचती है।

3. हिंदू होना मतलब भारत के प्रति जिम्मेदारी लेना- भारत में कोई ‘अहिंदू’ नहीं है। हर व्यक्ति चाहे जाने या न जाने, भारतीय संस्कृति का पालन करता है। इसलिए हर हिंदू को यह समझना चाहिए कि हिंदू होना मतलब भारत के प्रति जिम्मेदारी लेना है।”

4. भारत एक हिंदू राष्ट्र होना संविधान के खिलाफ नहीं- भारत का हिंदू राष्ट्र होना किसी बात के विरोध में नहीं है। यह हमारे संविधान के खिलाफ नहीं, बल्कि उसके अनुरूप है। संघ का लक्ष्य समाज को जोड़ना है, तोड़ना नहीं।

5. संघ ने विरोध झेला, लेकिन रुका नहीं- संघ के 100 साल पूरे होने तक का सफर आसान नहीं रहा। संघ पर दो बार प्रतिबंध लगा, तीसरी बार कोशिश हुई। स्वयंसेवकों की हत्या हुई, हमला हुआ, लेकिन संघ के कार्यकर्ता बिना स्वार्थ के काम करते रहे।

6. संघ हर गांव और हर वर्ग तक पहुंचेगा– संघ का लक्ष्य अब हर गांव, हर जाति और हर वर्ग तक पहुंचना है। दुनिया हमें विविधता में देखती है, लेकिन हमारे लिए यह विविधता एकता की सजावट है। हमें हर विविधता तक पहुंचना है और समाज को एक सूत्र में जोड़ना है।

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