कांवड़ यात्रा अपने चरम पर है। करोड़ों कांवड़िए बम-बम भोले का जयघोष करते हुए हरिद्वार-दिल्ली नेशनल हाईवे से अपने गंतव्य को बढ़ रहे हैं। इस बार कुछ अलग दिखने वाली कांवड़ का ट्रेंड है। दिल्ली के कांवड़िए देवी-देवताओं के बड़े-बड़े स्टेच्यू वाली कांवड़ ला रहे हैं। कांवड़ियों की एक बड़ी संख्या कलश कांवड़ लाने वालों की है। ऑपरेशन सिंदूर और बुलडोजर जैसी कांवड़ भी ट्रेंड में हैं। इस बार बहुत सारे भक्त अपने कंधे पर भोलेशंकर के स्टेच्यू वाली कांवड़ रखकर भी लाए हैं। कांवड़ यात्रा में कौन-कौन सी कांवड़ ट्रेंड में हैं मेरठ में सकौती टांडा गांव के कांवड़िए लगातार तीसरी बार बुलडोजर कांवड़ लेकर आ रहे हैं। बुलडोजर के आगे एक कांवड़िया कलश में 151 लीटर गंगाजल लेकर चल रहा है। उसके ठीक पीछे बुलडोजर चल रहा है। बुलडोजर के केबिन पर कुछ पोस्टर चिपके हुए हैं। इन पोस्टरों पर पीएम मोदी और सीएम योगी की तस्वीरें छपी हैं। पोस्टर के जरिए योगी शासन के बुलडोजर एक्शन की याद दिलाई जा रही है। ये कांवड़िए चाहते हैं कि अब देश की कमान योगी आदित्यनाथ संभालें, क्योंकि उन्होंने उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था सुधारी है। इन कांवड़ियों की ये तीसरी बुलडोजर कांवड़ यात्रा है।
गुरुग्राम में गांव नाथूपुर के कांवड़िए इस बार गोल्डन कांवड़ लेकर आ रहे हैं। ये कांवड़ लोहे के बुग्गी जैसे स्ट्रक्चर के ऊपर मंदिर के आकार में सजाई गई है। इसके अंदर 151 लीटर गंगाजल रखा गया है। गर्भगृह में भगवान शिवशंकर की मूर्ति स्थापित है। करीब 20 कांवड़ियों का जत्था इस कांवड़ को खींचकर चलता है। कांवड़िया पुनीत बताते हैं- इस कांवड़ को तैयार करने में करीब 20 लाख रुपए का खर्च आया है। मंदिर के चारों तरफ गोल्ड जैसी दिखने वाली प्लेटें हैं। इसमें कुछ ओरिजिनल गोल्ड भी लगा हुआ है। ये कांवड़ 16 जुलाई को हरिद्वार से चली थी और 22 जुलाई को गुरुग्राम स्थित पैतृक गांव में पहुंच जाएगी, जहां पर जलाभिषेक होगा। हरियाणा के मेवात क्षेत्र निवासी धीरज देशवाल इस बार कलश या प्लास्टिक की कैन नहीं, बल्कि पूरी गंगाजल की टंकी भरकर ला रहे हैं। इस टंकी में 560 लीटर गंगाजल है, जो लोहे के स्ट्रक्चर से बने वाहन के ऊपर रखी हुई है। धीरज मोटे रस्सों को गले में डालकर इस वाहन को खींचकर हरिद्वार से मेवात लेकर जा रहे हैं। ये कांवड़ आकर्षण का केंद्र बनी है। उसकी वजह ये है कि जो टंकी घर-घर पानी सप्लाई करती है, उस टंकी में गंगाजल भरकर ले जाया जा रहा है। धीरज कहते हैं- ये पूरे गांव का गंगाजल है। पहले मैं खुद कई मंदिरों पर जलाभिषेक करुंगा। गांव वाले इस टंकी से गंगाजल लेकर जलाभिषेक कर सकते हैं। वो ये भी कहते हैं कि कांवड़ खंडित होने पर कांवड़िए उपद्रव न करें। मेरी टंकी से गंगाजल भरें और अपनी यात्रा जारी रखें।
इस कांवड़ पर चारों तरफ प्लास्टिक के 450 नरमुंड टंगे हैं। सबसे आगे शिवलिंग स्थापित है और सबसे ऊपर महादेव की मूर्ति रखी है। इनके चारों तरफ नरमुंड टंगे हैं। इस कांवड़ को लाने वाले हरियाणा के हिसार निवासी 25 कांवड़ियों का ग्रुप है। कांवड़िए बताते हैं- श्मशान घाट से ये आइडिया आया। जिस तरह वहां चिता जलती है। वहीं से आइडिया लेकर नरमुंडों की कांवड़ बना दी। दिल्ली में इस तरह के खांचे मिलते हैं। इन खांचों में प्लास्टिक को गला कर डाला, जिसके बाद प्लास्टिक के नरमुंड बन गए। इस पूरी कांवड़ पर लाइट लगाई हुई है। जब अंधेरा होता है तो हर एक नरमुंड खौफनाक रूप में दिखता है। पहलगाम टेरर अटैक के बाद हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के नाम पर भी कांवड़ियों के कई ग्रुप कांवड़ लेकर आ रहे हैं। एक कांवड़ के आगे दो फौजियों के स्टेच्यू लगे हैं। इसमें एक जवान भारतीय सेना से है तो दूसरा वायुसेना से। इसके ऊपर ऑपरेशन सिंदूर का पोस्टर लगा है। ये कांवड़ यात्रा पहलगाम के शहीदों की याद में समर्पित की गई है। हरिद्वार पुलिस ने X पर इसका फोटो पोस्ट करते हुए लिखा- ऑपरेशन सिंदूर के नाम से कांवड़ लेकर निकले शिवभक्तों ने अपने जोश, श्रद्धा और राष्ट्रप्रेम से हर किसी का मन मोह लिया। मेरठ के कुछ कांवड़ियों ने भी ऑपरेशन सिंदूर के नाम पर स्पेशल कांवड़ बनवाई है। वो हरिद्वार से मेरठ आकर प्राचीन औघड़नाथ महादेव मंदिर पर जलाभिषेक करेंगे। दिल्ली के विनय पहलवान पहलगाम हमले में मारे गए 27 लोगों की याद में 151 लीटर गंगाजल लेकर आ रहे हैं। मेरठ में मटौर गांव के नेशनल वेट लिफ्टर आदेश और सौरभ कंधे पर 281 लीटर गंगाजल लेकर आ रहे हैं। दावा है कि ये विश्व की सबसे भारी कांवड़ है, जो कंधों पर आ रही है। गंगाजल भरने के लिए स्पेशल कलश खासतौर पर जोधपुर, राजस्थान में बनवाए गए थे। एक कलश में करीब 45 लीटर गंगाजल भरा गया है। कांवड़ इतनी भारी है कि इन कांवड़ियों का सफर 15 जून से हरिद्वार से जारी है, जिसे एक महीना पूरा हो चुका है।