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भूकंप की मार: अफगानिस्तान में फिर हिली धरती, लोगों में दहशत

अफगानिस्तान पिछले कई दिनों से भूकंप की मार झेल रहा है. शुक्रवार रात एक बार फिर झटके महसूस किए गए हैं. इस बार रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 5.0 मापी गई है. बता दें यह हाल ही में आया तीसरा तेज भूकंप है. लगातार आ रहे भूकंप से लोगों में दहशत है. हालांकि फिलहाल कोई बड़ी क्षति या किसी के हताहत होने की जानकारी नहीं मिली है. दरअसल अफगानिस्तान में बीते रविवार (31 अगस्त) को आए भीषण भूकंप से तबाह हुए पहाड़ी गांवों के घरों से सैकड़ों और शव बरामद किए गए हैं, जिससे मरने वालों की संख्या 2,200 से ज़्यादा हो गई है. रविवार देर रात देश के पहाड़ी और सुदूर पूर्वी हिस्से में 6.0 तीव्रता का हल्का भूकंप आया, जिससे गांव जमींदोज हो गए और लोग मलबे में दब गए. ज़्यादातर हताहत कुनार प्रांत में हुए हैं, जहां लोग आमतौर पर ऊंचे पहाड़ों से अलग खड़ी नदी घाटियों के किनारे लकड़ी और मिट्टी-ईंट के घरों में रहते हैं.

इस्लामिक रिलीफ चैरिटी द्वारा गुरुवार को जारी एक आकलन के अनुसार, प्रांत की लगभग 98% इमारतें क्षतिग्रस्त या नष्ट हो गई हैं. सहायता एजेंसियों ने कहा कि उन्हें क्षेत्र में बचे लोगों की देखभाल के लिए कर्मचारियों और आपूर्ति की सख्त जरूरत है. मुहम्मद इजराइल ने कहा कि भूकंप के कारण भूस्खलन हुआ जिससे कुनार में उनका घर, मवेशी और सामान दब गए. उन्होंने कहा कि सारे पत्थर पहाड़ से नीचे गिर गए. मैं अपने बच्चों को बड़ी मुश्किल से वहां से निकाल पाया. भूकंप के झटके अभी भी आ रहे हैं. वहां रहना नामुमकिन है. गुरुवार देर रात, नांगरहार प्रांत के जलालाबाद में 5.6 तीव्रता का भूकंप आया, जो सबसे ज़्यादा प्रभावित कुनार प्रांत के दक्षिण में है.

इजराइली नागरिक कुनार के सबसे ज़्यादा प्रभावित जिलों में से एक, नूरगल में संयुक्त राष्ट्र के एक चिकित्सा शिविर में रह रहे थे. उन्होंने कहा कि यहां भी हमारे लिए हालात खराब हैं, हमारे पास आश्रय नहीं है और हम खुले आसमान के नीचे रह रहे हैं. पहले के अनुमानों के अनुसार लगभग 1,400 लोग मारे गए थे. तालिबान के प्रवक्ता हमदुल्ला फितरत ने गुरुवार को कहा कि मृतकों की संख्या बढ़कर 2,205 हो गई है और खोज एवं बचाव अभियान जारी है.

फितरत ने कहा कि लोगों के लिए तंबू लगा दिए गए हैं और प्राथमिक उपचार व आपातकालीन आपूर्ति जारी है. उबड़-खाबड़ जमीन राहत कार्यों में बाधा डाल रही है. तालिबान अधिकारियों ने बचे लोगों की मदद के लिए हेलीकॉप्टर तैनात किए हैं और सेना के कमांडो को हवाई मार्ग से उतारा है. सहायताकर्मियों ने बताया है कि भूस्खलन और चट्टान गिरने से कटे गांवों तक पहुंचने के लिए उन्हें घंटों पैदल चलना पड़ा.

धन में कटौती का भी राहत कार्यों पर असर पड़ रहा है. नॉर्वेजियन रिफ्यूजी काउंसिल ने कहा कि अफगानिस्तान में उसके 450 से भी कम कर्मचारी हैं, जबकि 2023 में, जब देश में आखिरी बड़ा भूकंप आया था, उसके 1,100 कर्मचारी थे. परिषद के पास केवल एक गोदाम बचा था तथा कोई आपातकालीन स्टॉक नहीं था.

अफगानिस्तान में परिषद के संचार और वकालत सलाहकार, मैसम शफी ने कहा कि धन मिलने के बाद हमें सामान खरीदना होगा, लेकिन इसमें हफ्तों लग सकते हैं और लोगों को अभी इसकी ज़रूरत है. शफी ने कहा कि आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रयासों के लिए हमारे पास केवल 100,000 डॉलर उपलब्ध हैं. इससे 19 लाख डॉलर का तत्काल वित्तपोषण घाटा हो जाता है.

नर्गल स्थित संयुक्त राष्ट्र शिविर में घायलों की देखभाल कर रहे डॉ. शमशायर ख़ान ने कहा कि दूसरों की पीड़ा देखकर उनकी हालत बिगड़ गई है. उन्होंने कहा कि न तो ये दवाएं पर्याप्त हैं और न ही ये सेवाएं इन लोगों को और दवाओं और तंबुओं की जरूरत है. उन्हें भोजन और स्वच्छ पेयजल की जरूरत है. ये लोग बहुत तकलीफ में हैं. कतर की अंतर्राष्ट्रीय सहयोग राज्य मंत्री, मरियम बिन्त अली बिन नासिर अल मिस्नाद, भूकंप पीड़ितों को सहायता पहुंचाने की निगरानी के लिए बुधवार को काबुल पहुंची.

2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से वह मानवीय मिशन पर अफगानिस्तान जाने वाली पहली महिला मंत्री हैं, और भूकंप के बाद वहां जाने वाली पहली उच्च पदस्थ विदेशी अधिकारी भी हैं. सहायता संगठन इस नवीनतम आपदा को संकट के भीतर एक संकट बता रहे हैं. अफगानिस्तान पहले से ही सूखे, कमजोर अर्थव्यवस्था और पड़ोसी देशों से लगभग 20 लाख अफगानों की हाल ही में वापसी से जूझ रहा था.

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