‘अच्छा बच्चों, यह बताओ कि देश के प्रधानमंत्री का नाम क्या है?’ सवाल पर बच्चे खामोश. ‘सीएम का नाम क्या है?’ इस पर भी बच्चे खामोश. ‘राज्यपाल का नाम बताओ?’ फिर भी बच्चे चुप. यह खामोशी उत्तर प्रदेश सरकार के परिषदीय विद्यालय फॉक्सगंज से सामने आई है. दरअसल, राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष चारु चौधरी निरीक्षण के लिए इस विद्यालय में पहुंचीं थीं. यहां एक ही कमरे में 1 से 5 क्लास तक की पढ़ाई चल रही थी. चार में से तीन शिक्षक छुट्टी पर थे और एकमात्र शिक्षक बच्चों को पढ़ा रहे थे. हैरानी की बात यह रही कि मौके पर सिर्फ 12 छात्र मौजूद थे, जबकि रजिस्टर में करीब 50 छात्रों का अटेंडेंस दर्ज किया गया था. उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से प्राथमिक विद्यालयों के संचालन के साथ ही प्री-प्राइमरी स्कूल आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से भी चलाए जा रहे हैं. लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है.
गाजीपुर दौरे पर पहुंचीं प्रदेश महिला आयोग की उपाध्यक्ष चारु चौधरी जब कोतवाली क्षेत्र स्थित फॉक्सगंज प्राथमिक विद्यालय पहुंचीं, तो विद्यालय की पोल खुल गई. एक ही कमरे में कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों को पढ़ाया जा रहा था और कुल 12 छात्र ही मौजूद थे. वहीं रजिस्टर में 50 से 60 छात्रों की उपस्थिति दर्ज थी. यह देखकर चारु चौधरी ने मौके पर मौजूद शिक्षक को फटकार लगाई और फोन पर ही बेसिक शिक्षा अधिकारी को रिपोर्ट देने के निर्देश दिए. कुछ महीने पहले बेसिक शिक्षा विभाग ने छात्रों की कम संख्या वाले विद्यालयों का मर्जर अभियान चलाया था, जिस पर काफी राजनीति भी हुई थी. अब जबकि विद्यालयों का एकीकरण पूरा हो चुका है, उम्मीद थी कि व्यवस्थाएं सुधरेंगी, लेकिन हालात अभी भी जस के तस हैं.
चारु चौधरी जब विद्यालय पहुंचीं, तो उन्होंने पाया कि एकमात्र शिक्षक ही पांचों कक्षाओं को संभाल रहे हैं. बाकी दो शिक्षक छुट्टी पर थे और एक की ड्यूटी डीएलएड परीक्षा में लगी हुई थी. चारु चौधरी ने जब छात्रों का उपस्थिति रजिस्टर देखा, तो पाया कि लगभग सभी छात्रों की उपस्थिति दर्ज थी, जबकि वास्तविक रूप से सिर्फ 12 बच्चे ही मौजूद थे. उन्होंने तुरंत बेसिक शिक्षा अधिकारी उपासना रानी वर्मा को फोन कर मामले की जानकारी दी और कार्रवाई के निर्देश दिए. निरीक्षण के दौरान जब उपाध्यक्ष ने बच्चों से देश के प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और राज्यपाल का नाम पूछा, तो अधिकांश बच्चे जवाब नहीं दे सके. केवल एक बच्चे ने प्रधानमंत्री का नाम बताया. इस पर उन्होंने शिक्षा की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े किए. बाद में वे आंगनबाड़ी केंद्र भी पहुंचीं, जहां बच्चों की संख्या बेहद कम मिली. उन्होंने इस पर भी नाराजगी जताई. हालांकि, नियोजित कार्यक्रम के अनुसार उन्होंने छोटे बच्चों का अन्नप्राशन और गर्भवती महिलाओं का गोद भराई समारोह संपन्न कराया.
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