गाजा में शनिवार को भोजन की तलाश में सहायता केंद्र जा रहे फिलिस्तीनियों को फिर मौत का सामना करना पड़ा। इजरायली हमलों और गोलीबारी में कम से कम 25 फिलीस्तीनी मारे गए। इसमें टेंटों में शरण लेने जा रहे लोग भी शामिल हैं। यह जानकारी स्थानीय अस्पतालों ने दी है। इन हमलों के बीच दुनिया की प्रमुख खाद्य संकट एजेंसी द्वारा गाजा शहर में भुखमरी की पुष्टि किए जाने से वैश्विक चिंता और दबाव में भारी वृद्धि हुई है। यह भुखमरी की घोषणा इंटेग्रेटेड फूड सिक्योरिटी फेस क्लासीफिकेशन (IPC) द्वारा की गई। यह अब तक की मध्य पूर्व में पहली भुखमरी है। यह ऐसे समय में आई है जब इजरायल ने गाजा पर 2.5 महीने तक लगभग पूरी तरह से रोक लगाई थी और अब धीरे-धीरे अमेरिका समर्थित गाजा ह्यूमैनिटेरियन फाउंडेशन (GHF) के माध्यम से राहत पहुंचाने की अनुमति दे रहा है।
नासर अस्पताल के अनुसार शनिवार तड़के दक्षिणी गाजा में इजरायली हमलों में कम से कम 14 लोग मारे गए, जिनमें अधिकांश महिलाएं और बच्चे थे। हमलों का लक्ष्य खान यूनिस में वे टेंट थे, जहां विस्थापित लोग शरण ले रहे थे। एक शोक संतप्त रिश्तेदार के दो भतीजे अवद अबू अगाला मारे गए, ने कहा:“गाजा में अब कोई भी जगह सुरक्षित नहीं है… हर जगह बमबारी हो रही है। उत्तर में, दक्षिण में, हर जगह।” शेख रदवान फील्ड अस्पताल के अनुसार, शनिवार को इजरायली गोलीबारी में कम से कम 5 लोग मारे गए, जब वे ज़िकिम क्रॉसिंग के पास सहायता पाने के लिए जुटे थे। अन्य हिस्सों में 6 और लोगों की मौत हुई है, जिनकी पुष्टि अस्पतालों और पैलेस्टिनियन रेड क्रिसेंट ने की है।
IPC की रिपोर्ट में बताया गया है कि गाजा की एक चौथाई आबादी, यानी लगभग पांच लाख लोग, भीषण भूख का सामना कर रहे हैं और मौत के कगार पर हैं। इजरायल ने इस रिपोर्ट को “झूठा” बताते हुए खारिज कर दिया और कहा कि वह युद्ध के दौरान पर्याप्त सहायता की अनुमति दे चुका है। प्रधानमंत्री नेतन्याहू के कार्यालय ने आरोप लगाया कि हमास खुद बंधकों को भुखमरी की स्थिति में रख रहा है। इजरायली सेना ने कहा है कि उसके सैनिक पहले से ही गाजा सिटी के ज़ैतून इलाके सहित कई इलाकों में सक्रिय हैं, और आने वाले दिनों में बड़े पैमाने पर सैन्य अभियान शुरू किया जा सकता है। डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (MSF) ने कहा कि उनके क्लीनिकों में मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, क्योंकि हालिया बमबारी के बाद बड़ी संख्या में लोग फिर से विस्थापित हो रहे हैं। (पीटीआई)