बिना मालिक-नौकर के, भगवान के सहारे चल रही जबलपुर की मिठाई दुकान!

जबलपुर में लड्‌डुओं की एक ऐसी दुकान खुली है, जिसे भगवान चला रहे हैं। यहां पर कोई मालिक या कर्मचारी नहीं है। दुकान का नाम भी भगवान लड्डू गोपाल के नाम पर रखा गया है। यहां लोग अपनी जरूरत के अनुसार लड्‌डुओं का पैकेट खरीदकर पैसे रख जाते हैं। सुरक्षा की दृष्टि से दुकान के बाहर लगे बोर्ड पर एक सीसीटीवी लगाया है। दुकान की शुरुआत शास्त्री ब्रिज के पास रहने वाले विजय पांडे ने की है। यह दुकान कुछ ही दिनों में इतनी फेमस हो गई है कि न सिर्फ जबलपुर बल्कि पड़ोसी जिलों से भी लोग लड्‌डू खरीदने पहुंच रहे हैं।

पांडे ने बताया कि 17 किलो से ज्यादा लड्‌डुओं की बिक्री प्रतिदिन हो रही है। इससे होने वाली आय को बच्चों की शिक्षा और इलाज पर खर्च किया जाएगा। 10 मार्च 2025 को विजय पांडे ने घर के बाहर एक शाॅप खोली है। नाम श्री लड्डू गोपाल रखा है। इसकी खासियत यह है कि यहां लड्‌डुओं के डिब्बे रखे हुए हैं। जिनमें 250 ग्राम, 500 ग्राम के अलग-अलग पैकेट हैं। सभी पर रेट लिखा है। यहां भगवान लड्डू गोपाल की प्रतिमा भी है। पेमेंट के लिए तीन ऑप्शन दिए गए हैं। ग्राहक चाहे तो क्यूआर कोड से ऑनलाइन पैसे दे सकता है। नकद वालों के लिए एक बॉक्स है। पास में खुले पैसे भी रख दिए जाते हैं, जिससे किसी को दिक्कत न हो।

तीसरा ऑप्शन बाद में देने का है यानी पैसे नहीं हो तो भी वह लड्‌डू ले जा सकता है और बाद में अपनी सुविधा अनुसार पैसे दे सकता है। लड्‌डू गोपाल शॉप खोलने के पीछे की वजह खुद विजय पांडे ने बताई। कहा- दिसंबर 2024 में एक व्यक्ति मेरे घर पहुंचा। बताया कि उसके 5 साल के बेटे का जन्मदिन है। बेटे को लड्डू बहुत पसंद है। कुछ दिन पहले उसने एक मंदिर में आपके यहां का लड्डू खाया था। वह आज फिर जिद करने लगा कि उसे वही लड्डू चाहिए, जो मंदिर में मिला था। प्रसाद के डिब्बे पर आपका पता लिखा था। उसे ही तलाश करते यहां तक पहुंचा हूं।

पांडे ने बताया- वह पेशे से सुरक्षा गार्ड था। उसने कहा कि मेरे पास आज पैसे नहीं है। मुझे 200 रुपए के लड्डू चाहिए। मैं जल्द ही पैसे दे दूंगा। बच्चे के जन्मदिन की बात सुनकर मैंने एक किलो लड्डू उस शख्स को दे दिए और कहा कि जब कभी पैसे हों, तब दे जाना। उन्होंने बताया- जिस व्यक्ति को मैंने लड्डू दिए थे, उसने लड्डू गोपाल की कसम खाकर कहा था कि वह जल्द ही पैसे दे देगा। कुछ दिन बाद उसने पैसे लौटा भी दिए। तब मेरे मन में ख्याल आया कि एक ऐसी शाॅप खोली जाए, जो कि भगवान पर आश्रित रहे, सबकुछ उन्हीं के भरोसे हो।

मैंने पत्नी और बच्चों से इस विषय में बात की, सभी को आइडिया पसंद आया। इसके बाद भगवान श्री लड्डू गोपाल की शाॅप खोल दी गई। विजय पांडे ने बताया कि उस आदमी की मजबूरी देखकर मन में यह विचार आया कि यदि मेरी जगह इस दुकान पर भगवान लड्डू गोपाल बैठे होते तो यह आदमी इतना संकोच नहीं करता। इसी विचार के साथ यह दुकान खोली गई। यह 24 घंटे खुली रहती है। दुकान पर लड्डू लेने आने वाले व्यक्ति को किसी से कुछ भी पूछने की जरूरत नहीं है। वह अपने हिसाब से लड्डू ले सकता है। वजन को लेकर अगर किसी भी प्रकार की शंका है तो उसके लिए तराजू भी रखा हुआ है।

हालांकि, अभी तक किसी भी व्यक्ति ने उसका उपयोग नहीं किया है। दुकान में लड्डू गोपाल की मूर्ति के पास ही पैसा डालने के लिए एक डिब्बा भी रखा है। ग्राहक खुद अपना हिसाब करके डिब्बे में पैसे डाल देता है। बची हुई रकम पास में रखे खुले पैसे से ले लेता है। जिसके पास पैसा नहीं है, वह भी यहां से मिठाई ले जा सकता है। यह उसकी श्रद्धा पर निर्भर करता है कि उसे पैसे कब देने हैं।

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