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प्रेम की डोर से कान्हा बंधे पतंग, आरोहण-अवरोह कर दिखा रही निज रंग

– शैलेन्द्र साहित्य सरोवर की साप्ताहिक रविवासरीय काव्य गोष्ठी संपन्न
-काव्य गोष्ठी में भाग लेते कवि एवं साहित्यकार।
फतेहपुर। शहर के मुराइन टोला स्थित हनुमान मंदिर में शैलेन्द्र साहित्य सरोवर के बैनर तले 400 वीं साप्ताहिक रविवासरीय सरस काव्य गोष्ठी का आयोजन केपी सिंह कछवाह की अध्यक्षता एवं शैलेन्द्र कुमार द्विवेदी के संचालन में हुआ। मुख्य अतिथि के रूप में मंदिर के पुजारी भार्गव महाराज उपस्थित रहे।
काव्य गोष्ठी का शुभारंभ करते हुए केपी सिंह कछवाह ने वाणी वंदना मे अपने भाव प्रसून प्रस्तुत करते हुए कहा सरस्वती मां, वंदना, स्वप्न करो साकार। अंतर्मन निर्मल करो, दो कविता में धार।। पुनः कार्यक्रम को गति देते हुए काव्य पाठ में कुछ इस प्रकार से अपने अंतर्भावों को प्रस्तुत किया राधा जी श्री कृष्ण की, हैं अनन्यतम शक्ति। जन्मोत्सव पर है नमन, दें चरणों में भक्ति।। डा. सत्य नारायण मिश्र ने अपने भावों को एक छंद के माध्यम से कुछ इस प्रकार व्यक्त किया- यमुना किनारे, राधा पुकारे। कहां हो कन्हैया, वंशी बजैया।। दिनेश कुमार श्रीवास्तव ने अपने भावों को मुक्तक में कुछ इस प्रकार पिरोया- राधा-प्रेम की डोर से, कान्हा बंधे पतंग। आरोहण-अवरोह कर, दिखा रही निज रंग।। प्रदीप कुमार गौड़ ने अपने क्रम में काव्य पाठ में कुछ इस प्रकार भाव प्रस्तुत किये- जन्मोत्सव है श्री गणेश का, घर-घर खुशियाली छाई। प्रथम पूज्य विघ्नेश गजानन, दर्शन-पूजन सुखदाई।। डॉ शिव सागर साहू ने काव्य पाठ में अपने भावों को कुछ इस प्रकार शब्द दिए- इंटीग्रेटेड एयर डिफेंस, वेपन सिस्टम का हुआ नाद। धरती कांपी, नभ थर्राया, है चक्र सुदर्शन प्रथम पाद।। काव्य गोष्ठी के आयोजक एवं संचालक शैलेन्द्र कुमार द्विवेदी ने अपने भाव एक गीत के माध्यम से कुछ यों व्यक्त किये- जय गणपति, गणराज, गजानन, लंबोदर महाराज। हे विघ्नेश्वर, विघ्नविनाशक, रखियो प्रण की लाज।। कार्यक्रम के अंत में पुजारी ने सभी को आशीर्वाद प्रदान किया। आयोजक ने आभार व्यक्त किया।

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