“पेड़ की छाल से लैपटॉप बैग! जेकेके में दीपावली की रौनक, जूट और गोटे-पत्ती के बंधनवारों पर लोगों की नजरें”

जवाहर कला केंद्र में चल रहे 28वें लोकरंग महोत्सव के तहत राष्ट्रीय लोक नृत्य समारोह और राष्ट्रीय हस्तशिल्प मेला, दोनों ही अपनी पूरी रौनक के साथ दर्शकों और ग्राहकों को आकर्षित कर रहे हैं। जहां एक ओर हर शाम देशभर से आए कलाकारों की लोकनृत्य प्रस्तुतियां मंच पर लोक संस्कृति का जीवंत उत्सव रचती हैं, वहीं दिनभर शिल्पग्राम में लगे राष्ट्रीय हस्तशिल्प मेले में खरीददारी का उत्साह देखने लायक है।

जयपुरवासी ही नहीं, बल्कि देश-विदेश से आए पर्यटक भी यहां दिवाली की सजावट से जुड़े सामान और पारंपरिक शिल्पकृतियों की खरीददारी कर रहे हैं।मेले में देशभर के शिल्पकारों की कला झलकती है, जिसमें लकड़ी का नक्काशीदार फर्नीचर, मेटल के बर्तन, रंग-बिरंगे परिधान, कपड़े से तैयार सजावट के फूल और मिट्टी के गुलदस्ते आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं।

खास बात यह है कि ये सभी वस्तुएं बाजार की तुलना में किफायती दामों पर एक ही जगह उपलब्ध हैं। इसके अलावा मेले में खाद्य पदार्थों की विविधता इस मेले को और खास बना रही है। संस्कृति और शिल्प का यह संगम 17 अक्टूबर तक जारी रहेगा।यदि आप घर की शोभा बढ़ाने के लिए सजावटी सामान ढूंढ़ रहे हैं तो यहां जूट से बने बायोडिग्रेडेबल प्रोडक्ट्स जैसे प्लांट पॉट, कॉस्टर, वास, बोतल, पेन स्टैंड और फोटो फ्रेम जैसी चीजें मौजूद हैं, जो जूट की रस्सियों से तैयार की जाती हैं। जयपुर के मनीष ने बताया कि उनके पास विस्तृत श्रृंखला में जूट के उत्पाद मौजूद हैं। दस्तकार माधवी बताती हैं कि उन्होंने जूट से मर्मेड, डॉल, राधा-कृष्ण की मूर्तियां और विंड चाइम जैसे आकर्षक सजावटी सामान तैयार किए हैं जो लोगों का ध्यान खींच रहे हैं।

उनके पिता ने करीब 40 साल पहले इस कला की शुरुआत की थी। वे जूट को धोकर, सुखाकर और हाथों से आकार देकर नाइट लैंप, शोपीस और बुके जैसी सुंदर वस्तुएं तैयार करती हैं।दीपावली की सजावट के सामान में दीयों की खास पहचान देखने को मिल रही है। कपड़े से बने गुड्डे-गुड़ियां, जिनके साथ एक मोमबत्ती स्टैंड भी है, घर की सजावट में अलग ही रौनक भरते हैं। वहीं, गोटे-पत्ती पर बारीक डिजाइन देकर बंधनवार तैयार किए गए हैं, जिनमें कृष्ण के रूप, फूल, लेस का काम और अन्य सूक्ष्म कारीगरी शामिल है। इन हस्तशिल्प वस्तुओं में पारंपरिक कला और आधुनिक सजावट का अद्भुत संगम दिखाई देता है, जो दीपावली में घर को सुंदर और आकर्षक बनाने का बेहतरीन माध्यम है।

हाथ की कारीगरी के साथ-साथ मेले में सस्टेनेबल एनवायरनमेंट की बेहतरीन मिसाल भी देखने को मिल रही है। करणी लाल शर्मा और उनके बेटे विकास शर्मा ने इन अनोखी वस्तुओं के माध्यम से सस्टेनेबल एनवायरनमेंट की बेहतरीन मिसाल पेश की है।

वे बताते हैं कि छाल और कॉर्क को पहले साफ करके, फिर प्राकृतिक गोंद से जोड़कर और हाथ से सिलाई कर इनका आकार दिया जाता है। बिना प्लास्टिक के तैयार ये हैंडीक्राफ्ट वस्तुएं पर्यावरण संरक्षण और फैशन का सुंदर मेल हैं।

पर्यावरण-अनुकूल हैं। इनका रख-रखाव करना भी आसान है, जिससे ये घर की सजावट के लिए सुरक्षित और लंबे समय तक आकर्षक बने रहते हैं।

वहीं आंध्र प्रदेश से आए हस्तकार ने क्रोशिया से बुने परिधानों को प्रदर्शित किया है। इनमें क्रोशिया से तैयार मेजपोश, बच्चों के स्कर्ट और टॉप, बड़ों के गाउन और चादर शामिल हैं। हस्तकार बताते हैं कि एक मेजपोश बनाने में लगभग दो दिन लगते हैं, जबकि एक चादर तैयार होने में पूरा एक महीना खर्च होता है। उनकी मेहनत और बारीक कारीगरी इस हस्तकला का बेहतरीन उदाहरण पेश करती है। अगर कारीगरी का सचमुच अद्भुत नमूना देखना है, तो यह मेले में जरूर देखा जा सकता है।

यहां घर सजावट, कपड़े और ब्लू पॉटरी जैसी चीजों के अलावा सबसे ज्यादा भीड़ फूड स्टॉल्स पर देखने को मिल रही है। एक ओर तेलघानी पर तिल का तेल सामने ही ताजा निकाला जा रहा है, वहीं उसी तेल से तैयार कुटे हुए तिल का तिलकुटा भी लोगों को बहुत पसंद आ रहा है। बदलते मौसम और गुलाबी सर्दी के आगमन पर यह स्वादिष्ट और सेहतमंद व्यंजन बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी को लुभा रहा है। इसके अलावा बेकरी फूड, स्नैक्स, विभिन्न तरह के आचार और पापड़ जैसे खाद्य पदार्थों को भी ग्राहक काफी पसंद कर रहे हैं।

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