-रुद्रयज्ञ व रासलीला महोत्सव का दूसरा दिन भक्ति व श्रद्धा से सराबोर
बकेवर, फतेहपुर। बाबा श्रीबूढ़ेनाथ स्वामी मंदिर में चल रहे 42वें विशाल रुद्रयज्ञ एवं रासलीला महोत्सव के दूसरे दिन पूरे क्षेत्र में श्रद्धा और भक्ति का माहौल देखने को मिला। मंगलवार का दिन धार्मिक अनुष्ठानों, कांवड़ यात्रा, भव्य शोभायात्रा और रात्रि में हुई रासलीला के नाम रहा। सुबह से ही श्रद्धालुओं का मंदिर प्रांगण में तांता लगा रहा। भक्तगण भगवान शिव के दर्शन व पूजन के लिए दूर-दूर से पहुंचे। पूरे दिन हर-हर महादेव और बम-बम भोले के जयघोष गूंजते रहे, जिससे पूरा मुसाफा धाम भक्तिमय वातावरण में डूब गया। मंगलवार को सुबह मुख्य आचार्य प्रदीप शास्त्री के नेतृत्व में पांच विद्वान आचार्यों द्वारा वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ अरणी मंथन की पवित्र विधि संपन्न कर अग्नि प्रकट की गई। अग्निस्थापन के बाद विधिवत हवन प्रारंभ हुआ, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया। यज्ञ मंडप की परिक्रमा करते हुए भक्तों ने आहुति दी, जिससे पूरा वातावरण मंत्रों की गूंज और वैदिक ऊर्जा से ओतप्रोत हो उठा। यज्ञ स्थल पर भक्तों ने भगवान शिव से आशीर्वाद प्राप्त किया और जीवन में सुख-शांति की कामना की। मंगलवार को विशाल कांवड़ यात्रा की शुरुआत भी हुई, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालु शिवभक्त गंगाजल लेने के लिए रवाना हुए। कांवड़ यात्रा की शुरुआत काली माता मंदिर से हुई, जो स्वयंभू शिवलिंग बाबा श्रीबूढ़ेनाथ स्वामी मंदिर से होकर निचली रामगंगा नहर के रास्ते कानपुर नगर स्थित डोमनपुर पहुंचेगी। वहां से गंगाजल भरकर ये भक्तगण बुधवार को महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर बाबा श्रीबूढ़ेनाथ का जलाभिषेक करेंगे। कांवड़ियों के स्वागत में श्रद्धालुओं ने पूरे मार्ग को फूलों और भगवा ध्वजों से सजाया था। ग्रामीणों ने जगह-जगह पुष्पवर्षा कर कांवड़ियों का भव्य स्वागत किया। ‘बम-बम भोले’ और ‘हर-हर महादेव’ के जयकारों से वातावरण शिवमय हो उठा। भगवा वस्त्रधारी कांवड़िये गाजे-बाजे के साथ भक्तिरस में लीन होकर नृत्य करते आगे बढ़ रहे थे। मंगलवार की रात को भव्य रासलीला मंचन का आयोजन हुआ, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का दिव्य प्रदर्शन किया गया। जैसे ही भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ, पूरा पंडाल ‘नंद के आनंद भयो’ के जयघोष से गूंज उठा। इसके बाद पूतना वध, कालिया मर्दन, माखन चोरी, नंदोत्सव और अन्य झांकियों का मंचन किया गया। कलाकारों ने अपने भावपूर्ण अभिनय से श्रद्धालुओं को कृष्णकालीन युग की अनुभूति करा दी। बाल गोपाल की लीलाओं को देखकर भक्तजन भाव-विभोर हो गए। विशेष रूप से माखन-मिश्री का प्रसाद वितरण हुआ, जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। भक्तों ने भावनाओं से ओतप्रोत होकर भगवान श्रीकृष्ण के जयकारे लगाए। पूरा पंडाल कृष्णमय हो गया और श्रद्धालु मंत्रमुग्ध होकर रासलीला का आनंद लेते रहे। इस पूरे आयोजन को सफल बनाने में मंदिर समिति के सदस्यों और स्थानीय श्रद्धालुओं का विशेष योगदान रहा। इस मौके पर सोमनाथ तिवारी, अमित तिवारी, गौरव शुक्ला, शुभम अवस्थी, हर्षित, शिवा, आयुष, अमर, राजन, संजय सहित तमाम भक्त उपस्थित रहे। संतों की जन्मस्थली माने जाने वाले इस पावन धाम में भक्ति, श्रद्धा और उल्लास का अनुपम दृश्य देखने को मिला। भक्तों का मानना है कि बाबा श्रीबूढ़ेनाथ का यह दिव्य स्थल केवल एक मंदिर ही नहीं, बल्कि तपस्वी संतों की पावन जन्मस्थली भी है। यहां के धार्मिक आयोजन हर वर्ष हजारों श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक आनंद से भर देते हैं। रुद्रयज्ञ, कांवड़ यात्रा, हवन, रासलीला और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों के चलते पूरा क्षेत्र शिवमय हो गया। महोत्सव की पवित्रता और भव्यता ने हर भक्त के हृदय में श्रद्धा का संचार किया। बुधवार को महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर गंगाजल लाने वाले कांवड़ियों द्वारा बाबा श्रीबूढ़ेनाथ का जलाभिषेक किया जाएगा, जिसके लिए मंदिर परिसर में विशेष तैयारियां की गई हैं। इस महापर्व पर भक्तों की अपार भीड़ उमड़ने की संभावना है।