सऊदी अरब के साथ रक्षा समझौतों को लेकर अब पाकिस्तान का नया बयान सामने आया है। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा है कि सऊदी अरब के साथ हाल ही में हस्ताक्षरित रणनीतिक पारस्परिक रक्षा समझौते ने दोनों देशों के बीच अब तक “कुछ हद तक लेन-देन आधारित” रहे संबंधों को अब औपचारिक रूप दे दिया है। इस दौरान उन्होंने सऊदी के लिए परमाणु हथियारों की उपलब्धता को लेकर बड़ा बयान दिया।
क्या सऊदी के लिए रहेगी पाकिस्तान की परमाणु छतरी
पाकिस्तानी पत्रकार हसन ने ख्वाजा आसिफ से सवाल किया कि क्या इस समझौते के तहत सऊदी अरब पाकिस्तान की परमाणु सुरक्षा छतरी के अंतर्गत आता है, तो आसिफ ने सीधे जवाब देने से इनकार कर दिया और कहा, “मैं इस पर टिप्पणी नहीं करूंगा, क्योंकि रक्षा समझौते आम तौर पर सार्वजनिक रूप से नहीं बताए जाते।”
हसन ने अमेरिकी पत्रकार बॉब वुडवर्ड की किताब ‘War’ (2024) का हवाला भी दिया, जिसमें कहा गया था कि सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने एक अमेरिकी सीनेटर से कहा था कि “मैं तो पाकिस्तान से बम खरीद सकता हूं।” इस पर आसिफ ने कहा, “यह सिर्फ सनसनी फैलाने के लिए कही गई बात है। नहीं, मैं उस कथन पर विश्वास नहीं करता।”
पाकिस्तान ने कहा-हम परमाणु हथियार बेचने के धंधे में नहीं
जब अंतिम रूप से ख्वाजा आसिफ से पूछा गया, “तो क्या आप सऊदी अरब को परमाणु हथियार बेचने के धंधे में नहीं हैं?”…तो आसिफ ने जवाब दिया, “बिल्कुल नहीं। हम बहुत ज़िम्मेदार लोग हैं।” बता दें कि पिछले सप्ताह रियाद में पाकिस्तान और सऊदी अरब ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किया था कि किसी एक देश पर हमला, दोनों पर हमला माना जाएगा। पहले ख्वाजा आसिफ ने संकेत दिया था कि पाकिस्तान की परमाणु क्षमताएं इस नई व्यवस्था के तहत रियाद को उपलब्ध कराई जा सकती हैं। हालांकि, बाद में एक साक्षात्कार में उन्होंने स्पष्ट किया कि परमाणु हथियार इस समझौते का हिस्सा नहीं हैं और यह “एजेंडे में नहीं हैं।”
कतर पर इजरायली हमले पर क्या कहा
ख्वाजा आसिफ से जब यह पूछा गया कि क्या यह समझौता कतर पर इजरायली हमले की प्रतिक्रिया में हुआ है, तो उन्होंने इनकार करते हुए कहा, “यह पहले से ही काफी समय से बातचीत में था। हो सकता है कि हाल की घटनाओं ने प्रक्रिया को तेज कर दिया हो, लेकिन यह प्रतिक्रिया नहीं है। यह पहले से ही प्रक्रिया में था।” समझौते के बाद जारी संयुक्त बयान में कहा गया कि यह रक्षा समझौता दो देशों के लगभग आठ दशकों पुराने ऐतिहासिक सहयोग पर आधारित है, जो इस्लामी एकता, भाईचारे, साझा रणनीतिक हितों और गहरे रक्षा सहयोग पर टिका हुआ है।