बांग्लादेश:इन दिनों धार्मिक तनाव का माहौल तब और गर्म हो गया जब कट्टर इस्लामिक संगठनों ने इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस यानी इस्कॉन (ISKCON) पर प्रतिबंध लगाने की मांग तेज कर दी। ढाका और चटगांव समेत कई इलाकों में हेफाजत-ए-इस्लाम और उससे जुड़े छात्र संगठनों ने रैलियां निकालकर सरकार से मांग की कि इस्कॉन को देश में प्रतिबंधित किया जाए। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि इस्कॉन बांग्लादेश में हिंदू राष्ट्रवाद को बढ़ावा दे रहा है और यह भारत के हितों को साधने वाला संगठन है। उन्होंने यह भी कहा कि इस्कॉन की गतिविधियां देश के मुस्लिम समाज के खिलाफ हैं और इससे साम्प्रदायिक सद्भाव बिगड़ रहा है।
दूसरी ओर, इस्कॉन ने इन आरोपों को पूरी तरह से बेबुनियाद बताया है। संगठन का कहना है कि वह किसी भी राजनीतिक या साम्प्रदायिक गतिविधि में शामिल नहीं है और उसका उद्देश्य केवल भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति, मानवता की सेवा और शाकाहार व सदाचार का प्रचार है। इस्कॉन ने यह भी कहा कि बांग्लादेश में उसके हजारों भक्त हैं जो वर्षों से शांति और सामाजिक सेवा में लगे हुए हैं। संगठन ने बांग्लादेश सरकार से अपील की है कि वह कट्टर संगठनों की भड़काऊ मांगों पर ध्यान न दे और धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा करे।
इन विरोध प्रदर्शनों के दौरान ढाका में कई जगह पुलिस को भीड़ को नियंत्रित करने के लिए लाठीचार्ज और आंसू गैस का इस्तेमाल करना पड़ा। कई प्रदर्शनकारी घायल हुए जबकि कुछ को हिरासत में भी लिया गया। बांग्लादेश पुलिस का कहना है कि देश में किसी भी तरह की सांप्रदायिक हिंसा या अराजकता फैलाने की अनुमति नहीं दी जाएगी बांग्लादेश में इस्कॉन कई दशकों से सक्रिय है और उसने वहां मंदिरों, स्कूलों और सामाजिक कल्याण केंद्रों की स्थापना की है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों से कट्टरपंथी समूहों द्वारा हिंदू समुदायों और उनके धार्मिक स्थलों को निशाना बनाए जाने की घटनाएं बढ़ी हैं। विश्लेषकों का मानना है कि इस्कॉन को लेकर फैलाई जा रही नफरत उसी क्रम का हिस्सा है जिसमें अल्पसंख्यक समुदायों को डराने और धार्मिक ध्रुवीकरण की राजनीति की जा रही है।
सरकार ने अब तक इस पर कोई आधिकारिक फैसला नहीं लिया है, लेकिन मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक मामला संवेदनशील है और प्रशासन शांति बनाए रखने की कोशिश कर रहा है। वहीं, देश के उदार विचारक और मानवाधिकार कार्यकर्ता इस्कॉन के समर्थन में सामने आए हैं और उन्होंने कहा है कि बांग्लादेश की मूल पहचान उसकी धार्मिक सहिष्णुता में है, जिसे किसी भी हाल में कमजोर नहीं किया जाना चाहिए इस पूरे विवाद ने न सिर्फ बांग्लादेश बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ध्यान खींचा है। भारत में इस मुद्दे को लेकर नाराजगी जताई जा रही है और कई संगठनों ने बांग्लादेश में हिंदू मंदिरों और धार्मिक संस्थाओं की सुरक्षा की मांग की है। फिलहाल स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है और प्रशासन हालात पर करीबी नजर रखे हुए है।
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