– आमदे रसूल के जश्न में आयोजित हुआ जलसा
जलसे को खेताब करते मौलाना कमाल।
हथगाम, फतेहपुर। नगर के मिरदहन मोहल्ले में आमदे रसूल पर जलसे का आयोजन किया गया। जिसमें मौलाना कमाल उद्दीन व मौलाना याकूब मंझनपुरी ने तकरीर की और शायरों ने नातिया कलाम पेश किए। बड़ी संख्या में अकीदतमंद मौजूद रहे। जिनमें खवातीन भी शामिल रहीं।
प्यारे नबी की आमद पर जलसा आयोजित किया गया जिसमें तकरीर के पहले नातिया कलाम पेश किए गए। कारी शमशाद, कारी अब्दुर्रहमान, मौलाना रियाज बंदीपुर, मौलाना इमरान, मौलाना वसीम, हामिद आदि ने कलाम पेश किए। रबी-उल नूर आया, ये कैसा शोर है, ये किसकी आमद का उजाला है, मेरे लब पर तराना है, रबी उल नूर आया है। मेरा दिल जिगर जिस पे कुर्बान है, मेरी मां मेरी जान है, मेरी आखिरत का तो सामान है, मेरी मां मेरी जान है। नबी ने सहाबा को अपने दिखाकर, हलीमा के कदमों में चादर बिछाकर, बताया है मां के परेशान है, मेरी मां मेरी जान है। क्या कोई समझे भला रुतबा मेरे सरकार का, है कलामे पाक में चर्चा मेरे सरकार का,रब ने चाहा तो किसी रमजान में अम्मी के साथ, जाऊंगा मैं देखने रौजा मेरे सरकार का, यूं रजा ने कर दिया चर्चा मेरे सरकार का आदि कई नातिया कलाम पेश किए गए। पूर्व प्रधानाचार्य महमूदुल हसन, प्रधानाचार्य हसरत मोहानी स्कूल हफीजुल हसन, अनवार अहमद, हसनू मियां, गुफरान अहमद, अब्दुल फारूक, माशूक जग्गा, गुड्डू बकरकसा, बबलू कुरैशी, शानू कुरैशी, सफी लाला, आबिद हुसैन, फखरुल हसन, मोहम्मद शादाब, मोहम्मद शोएब, मोहम्मद आफान, मोहम्मद अरबाज, मो. तुफैल, मोहम्मद शहजाद, मो. सैफ, मोहम्मद चांद, मोहम्मद हन्नान आदि अनेक लोग मौजूद रहे। मौलाना कमाल उद्दीन ने तकरीर में फरमाया कि नबी ने जिंदगी जीने का सलीका सिखाया। उनका तरीका अपना कर जिंदगी गुजारी जाए तो दुनिया भी और आखिरत दोनों में कामयाबी हासिल होगी। इसीलिए अल्लाह ने अपने महबूब को इंसान बनाकर इस दुनिया में भेजा ताकि उनके उठने-बैठने, चलने-फिरने, खाने-पीने और जिंदगी के तमाम कामों को उनकी सीरत को देखकर करें। इसी में कामयाबी है।
