कई बार छोटी सी लापरवाही या किसी चीज को बहुत हल्के में लेने से बड़ी मुसीबत गले पड़ सकती है. हाल ही में वैस्कुलर सर्जन डॉ. विवेकानंद ने एक पॉडकास्ट के दौरान डीप वेन थ्रोम्बोसिस (DVT)के खतरों पर चर्चा करते हुए एक दुखद किस्सा साझा किया. उन्होंने बताया कि मात्र 18 साल की एक लड़की, जिसने अपने पीरियड्स को रोकने के लिए हार्मोनल गोलियां ली थीं, अचानक इस गंभीर बीमारी की चपेट में आ गई. कुछ ही घंटों के भीतर उसकी हालत इतनी बिगड़ गई कि समय रहते इलाज न मिलने पर उसकी मौत हो गई.
डॉक्टर के अनुसार, जब इस लड़की का स्कैन किया गया तो पता चला कि उसे डीप वेन थ्रोम्बोसिस है और खून का थक्का उसकी नाभि तक पहुंच चुका था. DVT में शरीर की नसों में खून के थक्के जम जाते हैं, खासकर पैरों में. यदि यह थक्का आगे जाकर फेफड़ों या दिल तक पहुंच जाए तो यह जानलेवा हो सकता है. यह स्थिति इतनी खतरनाक है कि सही समय पर इलाज न मिलने पर मरीज की मौत कुछ ही घंटों में हो सकती है. डॉक्टर ने बताया कि उस लड़की के पिता को तुरंत भर्ती कराने की सलाह दी गई थी, लेकिन उन्होंने गंभीरता को समझा नहीं और देर कर दी.
यही चूक आखिरकार जानलेवा साबित हुई. डीप वेन थ्रोम्बोसिस को अक्सर साइलेंट किलर कहा जाता है, क्योंकि इसके शुरुआती लक्षण कई बार नजरअंदाज कर दिए जाते हैं. पैरों में अचानक सूजन आना, दर्द होना, त्वचा का लाल या नीला पड़ जाना, और चलने-फिरने में तकलीफ होना इसके प्रमुख संकेत हैं. लेकिन ज्यादातर लोग इन्हें साधारण समस्या मानकर नजरअंदाज कर देते हैं. खासकर महिलाओं में, जो हार्मोनल गोलियां लेती हैं, लंबे समय तक बैठकर काम करती हैं या फिर गर्भनिरोधक दवाओं का सेवन करती हैं, उनमें इसका खतरा ज्यादा होता है.
इस घटना ने यह साफ कर दिया है कि हार्मोनल दवाओं का इस्तेमाल बिना डॉक्टर की सलाह के बेहद खतरनाक हो सकता है. पीरियड्स रोकने या अनियमितता को ठीक करने के लिए अक्सर लड़कियां मेडिकल सलाह लिए बिना ही गोलियां खा लेती हैं, लेकिन यह शरीर पर गहरा असर डालती हैं. हार्मोनल बदलाव के कारण खून के थक्के बनने का खतरा बढ़ जाता है. यही वजह है कि विशेषज्ञ हमेशा सलाह देते हैं कि ऐसी दवाएं लेने से पहले डॉक्टर से बात करना जरूरी है. हालांकि समय रहते इलाज मिलने पर वह बच सकती थी. खून के थक्के को दवाओं और समय पर इलाज के जरिए घोला जा सकता है, लेकिन लापरवाही ने उसकी जान ले ली.
डॉ. विवेकानंद ने लोगों से अपील की कि अगर कभी भी पैरों में सूजन, दर्द या सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्या दिखे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और टेस्ट कराएं.
यह मामला हम सभी के लिए एक चेतावनी है. आधुनिक जीवनशैली, गलत खानपान, लंबे समय तक बैठे रहना और बिना सोचे-समझे दवाओं का इस्तेमाल हमें ऐसे खतरनाक रोगों के मुंह में धकेल सकते हैं. खासकर युवाओं को सतर्क रहने की जरूरत है, क्योंकि अक्सर यही माना जाता है कि यह बीमारी सिर्फ बुजुर्गों को होती है. लेकिन हकीकत यह है कि डीप वेन थ्रोम्बोसिस किसी को भी हो सकता है, और सही समय पर पहचाना जाए तो इससे बचाव संभव है.