मंडी: पांडवशिला में बड़े पैमाने पर श्रद्धालु आते हैं, यहां पांडव शिला को देखने और शिला को हिलाकर मनोकामना मांगने. आश्चर्य की बात ये है कि पांडवशिला हाथ की एक उंगली से हिल जाती है, लेकिन बादल फटने से आए सुकेती नदी के उफान में भी ये गिरी नहीं. गांव वाले इसे किसी चमत्कार से कम नहीं मानते हैं. पांडव शिला के ठीक बगल में बन रही पांच मंजिला होटल धाराशाई हो गई. सुकेती नदी पांडव शिला से भी बड़े कई पत्थर बहाकर गांव ले आई, लेकिन पांडवशिला को कुछ नहीं हुआ.कि मैंने अपनी जिंदगी में इतनी बारिश कभी नहीं देखी. उन्होंने बताया कि 10.30 बजे रात को कई बड़े बड़े पत्थर जब गिरने की आवाज आनी लगी और हर तरफ से तेज पानी आने लगा तो मैं समझ गया कि ये सामान्य बारिश नहीं है. ‘मैंने तुरंत मोबाइल में मैसेज बनाकर लोगों को भेजना शुरु किया. रात को 11 बजे देखा कि सुकेती नदी का जलस्तर करीब दस से पंद्रह फुट बढ़ा था और पांडव शिला के बगल में बना पांच मंजिला होटल मेरे सामने गिर गया. रात को देखा कि पांडव शिला के ऊपर से सुकेती नदी का पानी तेज आवाज करती बह रही थी. लाखों टन मलबा, बड़े-बड़े पेड़ बहे जा रहे थे. पांडव शिला के ऊपर से पानी बह रहा था. यहां तक कि पांडव शिला को सुरक्षित रखने के लिए नदी के किनारे दो साल पहले एक दीवार बनाई गई थी वो गिर गई. लेकिन सुबह देखा तो पांडव शिला अपनी जगह मौजूद थी. कि पांडव शिला से भी बड़ा पत्थर कैसे बहकर एक मकान पर गिरा और उसे पूरी तरह बर्बाद कर दिया. लेकिन पांडव शिला अपनी जगह पर टिकी हुई थी. गांव के लोगों का कहना है कि अब तक पांडवशिला के बारे में बहुत कुछ सुना था लेकिन ये आश्चर्य होते हुए अपनी आंखों से देखा. गांव वालों ने पांडव शिला पत्थर पर धक्का लगाया तो शिला हिल रही थी, लेकिन उनके लिए भी आश्चर्य का विषय है कि पानी के तेज बहाव में ये शिला आखिर बही क्यों नहीं.
पांडव शिला से भी बड़े पत्थर नदी में बहते दिखे: मान्यता है कि जब पांडव जब अज्ञातवास काट रहे थे, तब अपनी निशानी के तौर पर इस शिला को रखा था. मान्यता है कि श्रद्धालु अपनी मनोकामना लेकर इस शिला को हिलाते हैं तो उनकी मनोकामना पूरी होती है. गांव वालों ने बताया कि एक बार सड़क बनाने के लिए इसे हटाने की कोशिश की गई, लेकिन ये शिला हटी नहीं. बादल फटने से आई तबाही में शिला के बगल में बना पांच मंजिला होटल जमींदोज हो गया. पांडव शिला से भी बड़े पत्थर नदी में बहते दिखे लेकिन पांडव शिला अपनी जगह से हिली तक नहीं.