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पितरों का तर्पण करें, दें उनको जल अन्न……..

– शैलेन्द्र साहित्य सरोवर की साप्ताहिक रविवासरीय काव्य गोष्ठी संपन्न
काव्य गोष्ठी में भाग लेते साहित्यकार।
फतेहपुर। शहर के मुराइन टोला स्थित हनुमान मंदिर में शैलेन्द्र साहित्य सरोवर के बैनर तले 401 वीं साप्ताहिक रविवासरीय सरस काव्य गोष्ठी का आयोजन केपी सिंह कछवाह की अध्यक्षता एवं शैलेन्द्र कुमार द्विवेदी के संचालन में हुआ। मुख्य अतिथि के रूप में स्वामी विजयानंद सरस्वती उपस्थित रहे।
काव्य गोष्ठी का शुभारंभ करते हुए केपी सिंह कछवाह ने वाणी वंदना में अपने भाव प्रसून प्रस्तुत करते हुए कहा सरस्वती मां कर कृपा, दे दो यह वरदान जब तक ये जीवन रहे, करें सदा यशगान।। पुनः कार्यक्रम को गति देते हुए काव्य पाठ में कुछ इस प्रकार से अपने अंतर्भावों को प्रस्तुत किया पितरों का तर्पण करें, दें उनको जल अन्न। मनवांछित वर पाइए, करके उन्हें प्रसन्न।। डा. सत्य नारायण मिश्र ने अपने भावों को एक छंद के माध्यम से कुछ इस प्रकार व्यक्त किया- शिक्षक दाता ज्ञान का, करे छात्र निर्माण। उसे न कुछ भी चाहिए, केवल श्रद्धा-मान।। दिनेश कुमार श्रीवास्तव ने अपने भावों को मुक्तक में कुछ इस प्रकार पिरोया- जब यम लेकर आता पाश। काम न आता विद्याभ्यास।। नवीन शुक्ल ने पढ़ा- अता-पता, घर, ठौर-ठिकाना, अपना नामालूम रहा। मन बिछुड़न की चादर ओढ़े, बैरागी सा घूम रहा।। प्रदीप कुमार गौड़ ने अपने क्रम में काव्य पाठ में कुछ इस प्रकार भाव प्रस्तुत किये- पितृ हमारे देव तुल्य हैं, बात सदा रखना यह ध्यान। कर्म हमारे रहें सदा शुभ, यही है उनके प्रति सम्मान।। डॉ शिव सागर साहू ने काव्य पाठ में अपने भावों को कुछ इस प्रकार शब्द दिए- अब हम सुमिरैं निज पितरों को, लाग्यो पितृपक्ष है आय। जिनकी कृपा पाय हम जीवैं, तर्पण पाय तृप्त होइ जांय।। कार्यक्रम के अंत में स्वामी विजयानंद सरस्वती जी ने सभी को आशीर्वाद प्रदान किया। आयोजक ने आभार व्यक्त किया।

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