अमेरिका ने जिस शख्स को आतंकी घोषित करते हुए करीब एक करोड़ डॉलर का इनाम घोषित किया था, उसका नाम है अबू मोहम्मद-अल जोलानी है. वह अमेरिका के बनाए आतंकी संगठनों की लिस्ट में शामिल हयात तहरीर अल शाम के मुखिया हैं. अब उन्हें अहमद अल शरा भी कहते हैं. वह सीरिया का रहने वाले है. साल 2003 में जब अमेरिका ने इराक पर हमला किया था तो मोहम्मद-अल जोलानी उन शुरुआती लड़ाकों में से एक थे, जो इराक में अमेरिका के खिलाफ लड़ रहे ओसामा बिन लादेन के बनाए संगठन अलकायदा का साथ देने के लिए सीरिया से अपने लड़ाकों को लेकर इराक पहुंचे थे.
अमेरिका के खिलाफ जमकर लड़ाई लड़ी थी. मोहम्मद-अल जोलानी की इसी भूमिका को देखते हुए अमेरिका ने न सिर्फ उनके संगठन अल-शरा को प्रतिबंधित आतंकियों की लिस्ट में डाल दिया था, बल्कि जोलानी को भी आतंकी बताते हुए उनको पकड़ने वालों को एक करोड़ डॉलर का इनाम देने की घोषणा की थी. अमेरिका ने जोलानी को गिरफ्तार भी किया था. वो साल 2006 से 2011 तक जेल में भी रहे थे. इतना ही नहीं जब सीरिया में बशर अल असद के खिलाफ गृहयुद्ध हुआ और उसमें बशर का तख्तापलट हुआ तो भी इसके लिए हयात तहरीर अल शाम और इसके मुखिया अहमद अल शरा उर्फ मोहम्मद अल जोलानी की भूमिका प्रमुख मानी गई थी, जिन्होंने अलकायदा के साथ मिलकर बसर-अल असद के खिलाफ जंग लड़ी थी.
ये बातें अब इतिहास हैं. कभी अमेरिका का दुश्मन रहा सीरिया अब बदली हुई परिस्थितियों में दोस्त बन गया है. सऊदी अरब की अपनी यात्रा के दौरान खुद अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा है कि वो सीरिया को एक मौका देना चाहते हैं. और इस बयान को 24 घंटे भी नहीं बीते कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने सीरिया के चरमपंथी नेता अहमद अल शरा से मुलाकात कर ली. और वजह सिर्फ ये है कि अहमद अल शरा अब सिर्फ नेता नहीं बल्कि सीरिया के नए राष्ट्रपति हैं, अब सीरिया की सत्ता अहमद अल शरा के हाथ में है, लिहाजा अमेरिकी राष्ट्रपति सीरिया के राष्ट्रपति से मिल रहे हैं. दोनों आपस में भविष्य की योजनाएं पर बात कर रहे हैं.