दुर्गम पथरीला रास्ता, आंखों में आंसू और कंधे पर पत्नी का शव…। बरसते बादल भी गुलशन कुमार की आंखों से बहते आंसू नहीं छिपा पा रहे थे। ये आंसू छिपते भी कैसे वह अपने जीवन की सबसे कठिन राह पर थे। उन्हें पत्नी ऊषा देवी का शव गांव ले जाने के लिए 35 किलोमीटर पैदल चलना पड़ा। सोमवार की देर रात को वह ढग्गर पहुंच गए थे। भारी बारिश और भूस्खलन के चलते कठुआ से ढग्गर का सीधा सड़क संपर्क टूटा है। ऐसे में वह हिमाचल के रास्ते गांव पहुंचे जिससे पांच घंटे के सफर में 18 घंटे लग गए। कठुआ जिले के ढग्गर निवासी गुलशन कुमार के लिए इस बार की बारिश जीवन के सबसे कठिन दिन लेकर आई। उनकी पत्नी गर्भवती थी। उन्हें बनी उप जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। गुलशन के रिश्तेदार ने बताया कि यहां नवजात की मौत हो गई। ऊषा की हालत गंभीर होने पर 22 अगस्त को जीएमसी कठुआ रेफर कर दिया गया। 24 अगस्त की रात करीब आठ बजे उनकी मौत हो गई। परिवार चाहता था कि अंतिम संस्कार पैतृक गांव ढग्गर में किया जाए।

”पत्नी का शव कंधे पर, आंखों में आंसू: 18 घंटे पैदल 35 किमी चला युवक, बारिश, कीचड़ और पत्थरों से जंग”
कठुआ जिले में पिछले कई दिनों से बारिश हो रही है और 24 अगस्त की सुबह तो यह बनी समेत जिले के कई हिस्सों में तबाही आई। इस हालात में गुलशन के गांव का रास्ता भी भूस्खलन के कारण बंद था। गुलशन ने बताया कि रास्ता बंद होने से वह कठुआ से सीधे अपने गांव ढग्गर नहीं जा सकते थे। इसलिए हिमाचल से होते हुए जाना तय किया। पत्नी का शव लेकर गुलशन सोमवार की सुबह एंबुलेंस से रवाना हुए और हिमाचल होते हुए माश्का तक पहुंचे। यहां से पैदल पेपड़ी गांव तक गए। यहां उन्होंने फिर गाड़ी की और डुग्गन गांव पहुंचे। इसके बाद वहां से 10 किलोमीटर दूर ढग्गर गांव तक पहुंचे। पूरे रास्ते में उन्हें शव को कंधों पर रखकर 35 किलोमीटर पैदल चलना पड़ा।