उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले के ओबरा थाना क्षेत्र में स्थित कृष्णा माइनिंग वर्क्स में 15 नवंबर को हुए खौफनाक खनन हादसे ने पूरे प्रशासनिक सिस्टम को सवालों के कटघरे में खड़ा कर दिया है. हादसे के बाद अब जांच तेजी से आगे बढ़ रही है और कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं. शुरुआती जांच में स्पष्ट हुआ है कि दुर्घटना के समय 300 फीट नीचे खदान में सुरक्षा मानकों की बुरी तरह अनदेखी की जा रही थी. खनन में ब्लास्टिंग और पहाड़ काटने का काम बिना उचित सुरक्षा उपायों के किया जा रहा था. इसी लापरवाही के बीच अचानक हुए धंसाव ने सात मजदूरों की जान ले ली.कृष्णा माइनिंग वर्क्स खदान के खिलाफ स्थानीय लोगों ने पहले भी कई शिकायतें की थीं. ग्रामीणों का आरोप रहा कि वहां लगातार असुरक्षित तरीके से खनन और ब्लास्टिंग होती थी, पर उनकी चेतावनियों को गंभीरता से नहीं लिया गया. हैरानी की बात तो यह है कि इन्हीं शिकायतों के आधार पर जब प्रशासन से स्पष्टीकरण मांगा गया तो उन्होंने खदान को मानक अनुसार संचालित बताया गया था. लेकिन अब इस भयावह हादसे के बाद प्रशासनिक दावों की विश्वसनीयता पर गंभीर प्रश्न खड़े हो गए हैं.हादसे के बाद करीब 72 घंटे तक रेस्क्यू ऑपरेशन चला. एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, फायर ब्रिगेड और स्थानीय पुलिस की टीमें लगातार राहत कार्य में जुटी रहीं. लेकिन तंग सुरंगों में काम, मशीनें नीचे तक न पहुंच पाना और लगातार मिट्टी खिसकने जैसी चुनौतियों ने बचाव अभियान को बेहद मुश्किल बना दिया. अंततः मलबे से सातों मजदूरों के शव बरामद किए गए, जिसके बाद प्रशासन और खदान प्रबंधन की कार्यशैली पर और गंभीर सवाल उठने लगे.
इस बीच जांच एजेंसियों ने अपनी कार्रवाई तेज़ करते हुए चार वांछित आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है. इनमें एक माइनिंग मैनेजर और तीन माइनिंग मेठ शामिल हैं. पुलिस के अनुसार, इन लोगों की जिम्मेदारी खदान संचालन और मजदूरों की सुरक्षा सुनिश्चित करना थी, लेकिन इनके द्वारा गंभीर लापरवाही बरती गई. घटनास्थल की तकनीकी जांच, मजदूरों के बयान और माइनिंग रिकॉर्ड की पड़ताल में इनके खिलाफ ठोस साक्ष्य मिलने के बाद ही गिरफ्तारियां की गईं.
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि अब भी कई महत्वपूर्ण कड़ियां जुड़नी बाकी हैं. दस्तावेज़ों और लाइसेंसों की जांच में ऐसा संकेत मिला है कि खदान संचालन से जुड़े अन्य लोगों की भूमिका भी संदिग्ध हो सकती है. जांच टीम का मानना है कि आने वाले दिनों में और भी बड़ी गिरफ्तारियां हो सकती हैं और संभव है कि इस पूरे प्रकरण में खनन माफिया की साजिश और संरक्षण की परतें भी खुलकर सामने आएं.
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