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बांदा में अवैध खनन का काला खेल: करोड़ों की नोटिस लाखों में सेट, प्रशासन की चुप्पी!

बांदा। उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में अवैध खनन का काला कारोबार चरम पर है। एनजीटी के नियमों को ताक पर रखकर केन नदी का सीना चीरकर बालू की लूट मची है। नरैनी तहसील के बरियारी खदान में संचालक संजीव कुमार गुप्ता के कर्मचारियों द्वारा नदी की जलधारा अवरुद्ध कर पोकलैंड मशीनों से अवैध खनन का सनसनीखेज मामला सामने आया है। स्थानीय किसान रमेश तिवारी ने आरोप लगाया कि उनकी खेत की मिट्टी जबरन काटकर रास्ता बनाया गया। भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) के मंडल अध्यक्ष बलराम तिवारी के नेतृत्व में किसानों और पत्रकारों ने मौके पर पहुंचकर इस काले कारनामे का पर्दाफाश किया।
पत्रकारों पर हमला, पुलिस की खामोशी
जब पत्रकारों ने बरियारी खदान में खड़े ट्रकों की तस्वीरें और वीडियो लेने की कोशिश की, तो खदान कर्मचारियों ने गुंडागर्दी दिखाते हुए उन्हें रोकने और मोबाइल छीनने की कोशिश की। यह सब गिरवां पुलिस की मौजूदगी में हुआ, जो मूकदर्शक बनी रही। पत्रकारों के सवाल पर कर्मचारियों की खामोशी ने उनकी मंशा को और संदिग्ध बना दिया। पत्रकार अब कर्मचारियों की बदतमीजी और फोटो-वीडियो बनाने से रोकने के खिलाफ 20 मई की सायंकाल होने वाली बैठक में रिपोर्ट दर्ज करने का निर्णय लेंगे।
केन नदी की लूट, किसानों की जमीन पर कब्जा
मौके पर पहुंचे किसान नेताओं और पत्रकारों ने देखा कि नदी की धारा अवरुद्ध कर पोकलैंड मशीनों से केन नदी के गर्भ से बालू निकाला जा रहा है। बरियारी खदान में बालू की उपलब्धता न होने के बावजूद यह गैरकानूनी कृत्य बेरोकटोक जारी है। रमेश तिवारी के खेत की मिट्टी काटकर रास्ता बनाया गया, जिसे कर्मचारियों ने 5 मीटर खनन की अनुमति का हवाला देकर जायज ठहराने की कोशिश की। तिवारी ने इसे झूठ करार देते हुए जबरदस्ती खनन का आरोप लगाया।
धमकी और जुर्माने का रैकेट
पथरी खदान के संचालक निखिल शर्मा को खनिज इंस्पेक्टर गौरव गुप्ता ने 10 लाख रुपये मासिक न देने पर खदान सीज करने की धमकी दी थी। एक सप्ताह बाद खदान पर छापा मारकर भारी जुर्माना ठोका गया। सूत्रों के मुताबिक, करोड़ों की नोटिस को लाखों में सेट करने का गंदा खेल चल रहा है, जिसमें प्रशासनिक मिलीभगत की बू आ रही है। यह सवाल उठता है कि यह डील किसके संरक्षण में हो रही है?
प्रशासन की शर्मनाक चुप्पी
बलराम तिवारी ने नरैनी के परगना अधिकारी और जिला अधिकारी को फोन किया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। जिला अधिकारी के पीआरओ ने बताया कि वे अंकाक्षा समिति के प्रदेश अध्यक्ष के साथ व्यस्त हैं। चित्रकूटधाम मंडल के आयुक्त ने भी प्रोटोकॉल कार्यक्रम का बहाना बनाया। नायब तहसीलदार आशीष शुक्ला ने बरियारी खदान में बालू न होने की बात स्वीकारी, लेकिन जिम्मेदारी एसडीएम पर डाल दी।किसानों का आक्रोश, आंदोलन की चेतावनी
बलराम तिवारी ने कहा कि 22 मई को लखनऊ में प्रमुख सचिव और अन्य विभागों की बैठक में अवैध खनन का मुद्दा उठाया जाएगा। 25 मई को मुख्यमंत्री से मुलाकात कर शिकायत की जाएगी। 27 मई को बांदा के अशोक लाट के नीचे धरना-प्रदर्शन होगा। तिवारी ने चेतावनी दी कि प्रशासन ने कार्रवाई नहीं की तो किसान और जनता सड़कों पर उतरेंगे।

भ्रष्टाचार और लूट का गठजोड़
बांदा में अवैध खनन का यह काला कारोबार पर्यावरण को नष्ट करने के साथ-साथ किसानों की आजीविका पर कुठाराघात कर रहा है। प्रशासन की चुप्पी और खनन माफियाओं की गुंडागर्दी से साफ है कि यह एक सुनियोजित रैकेट है। जनता अब सवाल उठा रही है कि यह लूट कब तक चलेगी? क्या सरकार और प्रशासन इस अराजकता पर लगाम लगाएंगे, या किसानों को अपने हक के लिए सड़कों पर उतरना पड़ेगा? यह मामला अब जनआंदोलन का रूप लेने की कगार पर है।

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